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Ranchi News : रांची के आयकत परिवार ने नेताजी के कमरे को संग्रहालय का रूप दिया

Ranchi News : राजधानी रांची के लालपुर में एक परिवार ऐसा है, जो आज भी नेताजी से जुड़ा हुआ है. यह परिवार नेताजी के मित्र रहे स्व फणींद्रनाथ आयकत का है.

आज भी स्टार्ट होती है नेताजी की 93 वर्ष पुरानी फिएट गाड़ी

रांची़ राजधानी रांची के लालपुर में एक परिवार ऐसा है, जो आज भी नेताजी से जुड़ा हुआ है. यह परिवार नेताजी के मित्र रहे स्व फणींद्रनाथ आयकत का है. इनके घर में नेताजी का कई बार आना-जाना हुआ था. नेताजी 20 मार्च 1940 में रामगढ़ में आयोजित 53वें कांग्रेस अधिवेशन के समानांतर एक दूसरे अधिवेशन में जनसमूह को संबोधित करने पहुंचे थे. उस समय नेताजी नजरबंद थे, और भेष बदल कर चक्रधरपुर के रास्ते रांची पहुंचे थे. उस समय नेताजी के एक और मित्र सह रांची के प्रख्यात चिकित्सक स्व फणींद्रनाथ चटर्जी ने रामगढ़ जाने के लिए अपनी फिएट कार दी थी. दोनों परिवार 85 वर्षों से इन बहुमूल्य यादों को सहेजे हुए है.

85 वर्षों से नेताजी की यादों को सहेजकर रखा है आयकत परिवार

स्व फणींद्रनाथ आयकत के गुजरने के बाद भी उनकी तीसरी पीढ़ी ने नेताजी की यादों को 85 वर्षों से सहेजे रखा है. स्व आयकत के पोते विष्णु आयकत ने बताया कि जैसा कि दादाजी ने बताया था नेताजी अधिवेशन में शामिल होने के लिए तीन दिन पहले यानी 17 मार्च 1940 को ही रांची पहुंच चुके थे. लालपुर स्थित घर पर पहुंच नेताजी ने सबसे पहले घर में रखे एक रिलैक्सिंग चेयर पर आराम किया. अपनी चार दिवसीय यात्रा के दौरान यहीं ठहरे. नजरबंद होने के कारण नेताजी ने स्व आयकत से आग्रह किया था कि उन्हें घर में कोई कोनेवाला कमरा दें, ताकि लोगों की नजर से बच सकें. उस समय पर घर पर नेताजी के भोजन आदि की जिम्मेदारी स्व फणींद्रनाथ आयकत की पत्नी गौरी रानी एकत पर थी. अगले दिन नेताजी ने घर के बरामदे में ही लोगों के साथ बैठक कर रामगढ़ अधिवेशन के समानांतर एक और अधिवेशन की योजना बनायी. इस अधिवेशन को संपन्न कराने के लिए दादा स्व फणींद्रननाथ आयकत ने 40,000 रुपये का आर्थिक सहयोग भी किया था.

कंघी और विद्यासागरी चप्पल छोड़ गये थे नेताजी

अधिवेशन के लिए रांची से रवाना होते समय, नेताजी जल्दीबाजी में थे. आनन-फानन में पैकिंग करते वक्त उनकी कंघी और सामान्य विद्यासागरी चप्पल स्व आयकत के घर में ही छूट गयी थी. जिसे बाद में आयकत परिवार ने पुरुलिया स्थित संग्रहालय में सौंप दिया. नेताजी की स्मृति के रूप में यह दोनों सामग्री सुरक्षित हैं. वहीं आयकत परिवार ने अपने घर के उस कमरे को जहां नेताजी ठहरे थे, को निजी संग्रहालय के रूप में विकसित कर दिया है. लोग आराम कुर्सी (रिलैक्सिंग चेयर), बिस्तर समेत अन्य सामग्री देख सकते हैं.

आज भी स्टार्ट होती है 93 वर्ष पुरानी नेताजी की सवारी

रांची से रामगढ़ की यात्रा नेताजी के लिए एक चुनौतीपूर्ण सफर थी. ऐसे में उनकी मदद डॉ फणींद्रनाथ चटर्जी, डॉ यदुगोपाल मुखर्जी और फणींद्रनाथ आयकत ने की थी. डॉ फणींद्रनाथ ने नेताजी को अपनी फिएट गाड़ी (गाड़ी नंबर बीआरएन 70) में रवाना किया था. यह गाड़ी आज भी नेताजी की चमक ओढ़ी हुई है. नेताजी की सवारी आज भी स्टार्ट होती है. डॉ चटर्जी के बेटे समरेंद्र नाथ चटर्जी ने इसे संभाल कर रखा है. समरेंद्र नाथ चटर्जी बताते हैं कि गाड़ी की उम्र 93 वर्ष की हो गयी है. पिता ने 1932 में इस गाड़ी को 4000 रुपये में खरीदा था. वर्तमान में गाड़ी की देखरेख डॉ चटर्जी के पोते अरूप चटर्जी करते हैं.

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