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गुटबाजी हुई हावी, भागलपुर में तिरंगा निर्माण पर हाजीपुर को भी श्रेय और 73 साल का रिकॉर्ड टूटा

सिल्क सिटी के मुख्य शहरी क्षेत्र नयाबाजार में पांच एकड़ भूभाग में भागलपुर जिला खादी ग्रामोद्योग फैला हुआ है. यह केवल जमीन का टुकड़ा,

प्रभात पड़ताल-मुख्य शहरी क्षेत्र स्थित पांच एकड़ में फैला भागलपुर जिला खादी ग्रामोद्योग हो गया है बदहाल, करोड़ों की मशीन बन गयी है कबाड़ और अधिकतर उद्यम हो गया बंद

दीपक राव, भागलपुर

सिल्क सिटी के मुख्य शहरी क्षेत्र नयाबाजार में पांच एकड़ भूभाग में भागलपुर जिला खादी ग्रामोद्योग फैला हुआ है. यह केवल जमीन का टुकड़ा, जर्जर भूत बंगला व करोड़ों की मशीन कबाड़ बनकर रह गयी है. यहां गुटबाजी हावी हो गया, सरकार का नियंत्रण ढीला पड़ गया और 73 साल के इतिहास में पहली बार भागलपुर में तिरंगा निर्माण का श्रेय हाजीपुर को भी मिल रहा है.

दरअसल पहले यहां का तिरंगा देशभर में भेजी जा रही थी. दो साल पहले तक गुजरात, बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड आदि प्रांतों तक झंडे की मांग थी और लाखों का कारोबार हुआ था. एक गुट में शामिल पूर्व प्रबंधक रवींद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि पांच लाख से अधिक के तिरंगे का निर्माण पहली बार हाजीपुर में कराया जा रहा है. संसाधन व जर्जर भवन के कारण यहां निर्माण नहीं हो रहा है. वहीं दूसरे गुट में शामिल प्रशासक मायाकांत झा ने बताया कि तीन लाख के तिरंगे झंडे की प्रिंटिंग के लिए हाजीपुर भेजा गया.

खादी तिरंगा की बढ़ी डिमांड, होगा 10 लाख का कारोबारप्रशासक मायाकांत झा ने बताया कि ठंड बढ़ने के कारण इस बार कम मात्रा में तिरंगा का निर्माण सामान्य स्थानों पर हुआ, लेकिन खादी ग्रामोद्योग की ओर से आठ लाख से अधिक का तिरंगा निर्माण कराया गया. इस बार उम्मीद है कि 10 लाख से अधिक के तिरंगा व खादी के कपड़े की बिक्री होगी. लगातार ऑर्डर आ रहे हैं. प्रदेश के विभिन्न जिला मुख्यालय से तिरंगा मंगाया जा रहा है.

1952 में पड़ी खादी ग्रामोद्योग केंद्र की नींव और प्रथम राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री तक रहे साक्षीपूर्व प्रबंधक रवींद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि 1952 में भागलपुर जिला खादी ग्रामोद्योग की नींव नयाबाजार कसबा गोलाघाट समीप पांच एकड़ भूभाग में पड़ी थी. यहां प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कदम इस खादी ग्रामोद्योग केंद्र में पड़ चुके हैं. लोकनायक जयप्रकाश नारायण तो कई बार यहां आ चुके हैं. सभी के सपोर्ट से इस खादी ग्रामोद्योग केंद्र प्रगति की राह पकड़ी थी. बिहार-झारखंड सम्मिलित प्रांत में इकलौता खादी ग्रामोद्योग संघ था, जहां का झंडा, खादी वस्त्र, सिल्क वस्त्र, सरसों तेल, सत्तू, साबुन आदि का निर्माण होता था.

लग्जरी गाड़ियों का पार्किंग स्थल व कई परिवारों का है अवैध कब्जाखादी ग्रामोद्योग केंद्र परिसर इन दिनों लग्जरी गाड़ी रखने के लिए पार्किंग स्थल बन कर रह गया है. इक्का-दुक्का छोड़ दें, तो दूसरे लोग यहां गाड़ी लगाकर चले जाते हैं. प्रशासक मायाकांत झा ने बताया कि 20 परिवार और 150 लोग यहां रह रहे हैं. 70 प्रतिशल लोग यहां रहने के अधिकारी नहीं है. रिटायर लोग अपने साथ अन्य लोगों को लाकर रखे हुए हैं. फिर भी कब्जा जमाये हुए हैं. यहां का बना साबुन हैदराबाद जाता था और लाखों का कारोबार होता था. अव्यवस्था के कारण सबकुछ बंद हो गया. रंगाई-छपायी का काम बंद हो गया है. खादी ग्रामोद्योग का अधिकतर उद्यम बंद हो गया. इधर रवींद्र ठाकुर ने बताया कि 15 परिवार इस परिसर में रहते हैं. 50 प्रतिशत लोगों का इस खादी ग्रामोद्योग से कोई संबंध नहीं है. दोनों गुट एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं और खादी ग्रामोद्योग का सारा काम ठप है. कुछ लोग यहां के भवन को किराये पर लगाकर पैसा वसूल रहे हैं. एक माह पहले तक यहां बैकरी उद्योग किराये पर चल रहा था.

जिला उद्योग केंद्र की जीएम ने किया था निरीक्षण, मुख्यालय भेजी गयी रिपोर्टअव्यवस्था की शिकायत के बाद इस परिसर का निरीक्षण किया था. दोनों पक्षों को बैठाकर एक-एक जानकारी जुटायी. इसके बाद यहां की रिपोर्ट तैयार करके पटना स्थित मुख्यालय भेज दिया गया है. विवाद व अन्य अव्यवस्था का समाधान व अन्य कार्रवाई जिला प्रशासन व खादी ग्रामोद्योग के आला अधिकारी को करना है.

खुशबू कुमारी, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र————-

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