आरा.
लगभग 27 वर्ष पहले हुए पिता-पुत्र की हत्या मामले में मृतकों के परिजनों को आरा कोर्ट से बुधवार को न्याय मिला. दोहरे हत्याकांड में प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऋषि कुमार सिंह ने बुधवार को छह आरोपितों को कठोर आजीवन कारावास व प्रत्येक को कुल 31 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी. अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक प्रशांत रंजन ने संचालन व बहस किया था. उन्होंने बताया कि 14 अक्टूबर 1997 की शाम चार बजे कोईलवर थानांतर्गत बिंदगांवा नया टोला गांव निवासी पंचम सिंह व उसका पुत्र देवेंद्र सिंह उर्फ अभिराम सिंह, रूप नारायण सिंह, फुलवासो देवी व राम नाथ सिंह अपने घर के बाहर बैठे थे. इसी दौरान उसी गांव के महेश सिंह समेत कई लोगों ने राइफल, बंदूक व पिस्तौल लेकर आ गये. वे लोगों ने कहा कि हमारे जमीन से राख क्यों नही हटाते हो. इसी बात को लेकर विवाद बढ़ जाने पर अभियुक्तों ने अंधाधुंध फायर करने लगे. गोली लगने से पंचम सिंह व उसके पुत्र देंवेंद्र सिंह की मौत हो गयी. जबकि रूपनारायण सिंह, फुलवासो देवी, रामनाथ सिंह व एक गाय को गोली लगने से जख्मी हो गये. घटना को लेकर थाने में नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. अपर लोक अभियोजक रंजन ने बताया कि 26 फरवरी, 2013 को आरोप का गठन हुआ था. अभियोजन की ओर से 12 गवाहों की गवाही कोर्ट में हुई थी. जबकि बचाव पक्ष की ओर से छह गवाहों की गवाही हुई थी. प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ऋषि कुमार सिंह ने सजा के बिंदु पर सुनवाई के बाद दोहरे हत्या करने का दोषी पाते हुए आरोपित महेश सिंह व उमेश सिंह दोनों पिता स्व सुघर सिंह, जय प्रकाश सिंह व शशि रंजन सिंह दोनों पिता स्व रामचंद्र सिंह, ध्रुप सिंह तथा मनोज सिंह को कठोर आजीवन कारावास तथा प्रत्येक को कुल 31 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनायी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है