जमशेदपुर, ब्रजेश सिंह : पूर्वी सिंहभूम जिले के किसान अब पारंपरिक खेती के साथ फूलों की खेती में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. यहां किसान पानी की समस्या और खेती को लेकर काफी परेशान रहते हैं. इसके बाद अब ये किसान कम पानी में तैयार होने वाली फसलों की ओर रुख कर रहें हैं, जिसमें वे लाखों कमा रहें हैं. किसान विभिन्न प्रकार के फूलों की खेती कर रहे हैं, जिससे जिले में लगातार फूलों की बंपर पैदावार हो रही है. जिले में 120 हेक्टेयर में इस साल गेंदा की फूलों की पैदावार करने का लक्ष्य निर्धारित की गयी है, जबकि पिछले साल 82 हेक्टेयर में 360 मीट्रिक टन गेंदा फूल की पैदावार हुई थी. पिछले साल 50 हेक्टेयर में गुलाब का 15 मीट्रिक टन की पैदावार हुई है, जिसमें दोगुना बढ़ोतरी इस बार किया जाना है. इसके अलावा जरवेरा और ग्लेडियोलस फूलों की भी पैदावार हो रही है.
जिले में 5 टन प्रति सप्ताह है गेंदा फूल का डिमांड
पूर्वी सिंहभूम जिले में वैसे 20 हजार पीस प्रति सप्ताह गुलाब का डिमांड है, जबकि करीब 5 टन प्रति सप्ताह गेंदा फूल का डिमांड होता है. ऐसे में इस जिले में डिमांड काफी है और बाहर से फूल आकर यहां के डिमांड को पूरा करते है. जिला उद्यान विभाग अब चाहता है कि इस जिले में लोकल ही फूलों की पैदावार कर डिमांड को पूरा किया जा सके.
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सीजन में और अधिक मुनाफा
त्योहारों और अन्य कार्यक्रमों के दौरान मार्केट में फूलों की डिमांड बढ़ जाती है. इस तरह के सीजन में किसानों को अच्छी कीमत मिलती है और उन्हें अधिक मुनाफा होता है. वहीं, किसानों ने बताया कि फूलों की खेती में किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं है. फूलों की बिक्री के सीजन में उम्मीद से ज्यादा फसल की कीमत मिल जाती है. इसलिए जिले के किसानों की फूल की खेती लाभ का धंधा बनती जा रही है.
कृषि विभाग भी दे रहा बढ़ावा
फूलों की खेती के लिए उद्यान विभाग भी किसानों को बढ़ावा दे रहा है. कृषि विभाग के उद्यान पदाधिकारी अनिमा लकड़ा ने बताया कि फूलों की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी दे रहे हैं, ताकि फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित हों. जो लोग फूलों की अच्छी खेती करते हैं, उन्हें अलग से प्रोत्साहन दिया जाता है. जिले में फूलों की खेती कर कई किसान अच्छा लाभ कमा रहे हैं.
कम मेहनत और अधिक मुनाफा
पटमदा के किसान गोराचंद्र गोराई पटमदा के लोवाडीह में करीब एक एकड़ में वे यहां गेंदा फूल की खेती कर रहे है. मृगव्यं एफपीओ से जुड़े गोराचंद्र गोराई ने बताया कि गेंदा की खेती बहुत आसान है. इसमें मेहनत कम है. उन्होंने 1 एकड़ में गेंदा फूल की फसल लगाई हुई है, जिसमें लागत निकालने के बाद भी साल में करीब 1 लाख रुपए से अधिक का बचत हो जाता है. उनका कहना है कि गेंदा की खेती में वह और परिवार के लोग काम करते हैं. हर 2-3 दिनों में फूल आ जाते हैं, जो मार्केट में डिमांड के हिसाब से आसानी से बिक जाते हैं.
जरवेरा की खेती कर सुशांत दत्ता ने जिले में नयी संभावना को तलाशा
पटमदा के ही किसान सुशांत दत्ता जरवेरा की खेती कर रहे है. मृगव्यं एफपीओ से जुड़कर सुशांत दत्ता ने काफी काम किया और ग्रीन शेड नेट में करीब 10 हजार वर्ग फीट के एरिया में जरवेरा की खेती की है और काफी बेहतर पैदावार वे कर रहे हैं. वे एक रोल मॉडल है. जिले में जरवेरा बागवानी विभाग द्वारा संरक्षित फूल योजना के तहत दिया जा रहा है.
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