National Health Mission : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पिछले तीन वर्षों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत होने वाली प्रगति की समीक्षा की. इस दौरान बताया गया कि भारत सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के तहत अपने स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति के साथ आगे बढ़ रहा है. इसके साथ ही भारत अपने स्वास्थ्य लक्ष्यों को 2030 की समय सीमा से काफी पहले ही पूरा कर लेगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल को 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के दौरान एनएचएम के तहत होने वाली प्रगति से अवगत कराया गया. इस दौरान मंत्रिमंडल ने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के तहत स्वास्थ्य लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मिशन को अगले दो वर्षों तक जारी रखने की भी मंजूरी दी. इस संबंध में एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पिछले तीन वर्षों में, एनएचएम ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, रोग उन्मूलन और स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे सहित कई क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति की है. एनएचएम की एक प्रमुख उपलब्धि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के भीतर मानव संसाधनों में उल्लेखनीय वृद्धि भी रही है.
ये सुधार इस बात का संकेत देते हैं कि स्वास्थ्य सुधार को लेकर एनएचएम गंभीर प्रयास कर रहा है. एनएचएम के प्रयास से न केवल हमारा देश एक स्वस्थ देश के तौर पर पहचाना जायेगा, बल्कि लोगों की सेहत में सुधार और बीमारियों में कमी आने से स्वास्थ्य सेवा पर पड़ने वाला बोझ भी कम होगा. इतना ही नहीं, इससे रोगियों के परिवार वालों पर पड़ने वाला भार भी कम होगा. देश की उत्पादकता और अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी. विदित हो कि देश में सरकारी अस्पतालों में रोगियों की बढ़ती संख्या और लंबी कतारों के कारण वैसे लोग भी निज अस्पतालों का रुख कर लेते हैं, जिनकी माली हालत बहुत अच्छी नहीं है.
इससे उन पर अत्यधिक आर्थिक बोझ पड़ता है. रोगियों की बढ़ती संख्या जाने-अनजाने देश की श्रम शक्ति और उत्पादकता पर भी प्रभाव डालती है. ऐसे में यह समाचार बेहद सुखद है कि एनएचएम ने न केवल जच्चा-बच्चा मृत्यु दर में कमी लाने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है, बल्कि टीबी, कालाजार जैसे रोगों पर नियंत्रण पाने में भी सफलता पायी है. एनएचएम की इस बात के लिए भी सराहना करनी चाहिए कि उसने स्वास्थ्यकर्मियों और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया और निरंतर इसमें वृद्धि जारी रखी. स्वास्थ्य पेशेवर किसी भी देश की स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ होते हैं. सो उनका पर्याप्त संख्या में होना अत्यंत आवश्यक है.