रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने आरआरडीए व रांची नगर निगम में नक्शा स्वीकृति में विलंब और वसूली के मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पक्ष सुनने के बाद नक्शा सॉफ्टवेयर बीपीएएमएस के तीसरे स्टेज में बदलाव करने पर नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने पूछा कि तीसरे स्टेज में लीगल अफसर द्वारा कागजात की जांच कर अधिकतम सात दिनों के अंदर रिपोर्ट अग्रसारित की जाती थी, उस प्रक्रिया में बदलाव करते हुए अपर प्रशासक को कागजात जांच का जिम्मा क्यों दिया गया? तीसरे स्टेज की निर्धारित प्रक्रिया क्यों बदली गयी? खंडपीठ ने रांची नगर निगम के प्रशासक को तत्काल सुधार कर जानकारी देने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि यदि सुधार नहीं किया जाता है, तो सख्त आदेश पारित किया जा सकता है. मामले की अगली सुनवाई 30 जनवरी को होगी.
रांची नगर निगम के अधिवक्ता ने कहा कि निगम में कोई लॉ अफसर नहीं
इससे पूर्व मामले की सुनवाई के दौरान रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने कहा कि नगर निगम में कोई लॉ अफसर नहीं है. राज्य सरकार का नगर विकास विभाग ही नियुक्ति कर सकता है. निगम के अपर प्रशासक को राजस्व संबंधी मामलों का पूरा अनुभव है, जो सही तरीके से काम कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि रांची नगर निगम में नक्शा पास करने में विलंब व अवैध वसूली संबंधी खबर को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया था. उस पर स्वत: संज्ञान लेकर कोर्ट सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि रांची नगर निगम के अधिवक्ता निर्देश प्राप्त करेंगे कि पांच दिसंबर 2024 की कार्यवाही क्यों जारी की गयी, जिसमें रांची नगर निगम के दो अतिरिक्त नगर आयुक्तों को कानूनी अधिकारी (लॉ अफसर) के रूप में कार्य करने का अधिकार दिया गया है.झारखंड हाइकोर्ट ने आरआरडीए व रांची नगर निगम में नक्शा स्वीकृति मामले में स्वत: संज्ञान से दर्ज याचिका पर सुनवाई की. खंडपीठ ने नक्शा सॉफ्टवेयर बीपीएएमएस में बदलाव पर नाराजगी जतायी.
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