संवाददाता, पटना सड़क दुर्घटना में घायल पीड़ितों की मदद करने वाले लोगों में औरंगाबाद के लोग सबसे आगे हैं. ऐसे लोगों को गुड सेमेरिटन कहा जाता है, सरकार इन्हें 10 हजार रुपये की पुरस्कार राशि देती है. यह राशि लेने में औरंगाबाद जिला अव्वल है. परिवहन विभाग के मुताबिक 2018 से अब तक सड़क दुर्घटना में घायल पीड़ितों की मदद करने वाले लगभग 1200 गुड सेमेरिटन को सम्मानित किया गया है. इनमें सबसे अधिक औरंगाबाद में 68 ,सारण में 62, समस्तीपुर में 57, मधुबनी में 52 और मोतिहारी में 46 लोगों ने सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों को अस्पतालों तक पहुंचाया है. इससे घायलों की जान बच पायी है. विभाग ने सभी जिलों के डीटीओ को निर्देश दिया है कि व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए जिलों के महत्वपूर्ण सरकारी स्थलों, भवनों की दीवारों पर जागरूकता युक्त बोर्ड लगाया जाये. वहीं, सड़क दुर्घटना में घायल पीड़ितों की ससमय उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाने वालों को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो, इसको लेकर लोगों को जागरूक करें, ताकि अधिक से अधिक लोग घायलों को अस्पताल पहुंचा सकें. ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए परिवहन विभाग हर स्तर पर प्रचार-प्रसार कराएं. परिवहन विभाग ने सभी जिलों के डीएम व एसपी से पत्राचार करके आदेश दिया है कि गुड सेमेरिटन को किसी तरह की परेशानी नहीं हो. दुर्घटना में घायल व्यक्ति की मदद करने वालों से पुलिस पदाधिकारी उनका नाम, पहचान, पता देने के लिए बाध्य नहीं करेंगे. यदि कोई गुड सेमेरिटन पुलिस थाने में स्वेच्छा से जाने का चयन है, तो उससे बिना किसी अनुमति विलंब के एक तर्कसंगत और समयबद्ध रूप से एक ही बार में पूछताछ करें. गवाह बनने के लिए नहीं करें कोई बाध्य सड़क पर घायल किसी व्यक्ति के बारे में पुलिस को सूचना देने के बाद संबंधित पुलिस पुलिस अधिकारियों द्वारा गुड सेमेरिटन को जाने की अनुमति दी जायेगी. अगर गुड सेमेरिटन उस मामले में गवाह बनने का इच्छुक नहीं होता है, तो उससे आगे कोई पूछताछ नहीं की जायेगी.जांच -पड़ताल करते समय ऐसे गुड सेमेरिटन का पूरा बयान या शपथ पत्र पुलिस अधिकारी द्वारा एक ही बार पूछ ताछ के दौरान रिकाॅर्ड किया जायेगा.
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