हाईलाइट्स
Budget History: बजट एक वित्तीय दस्तावेज है. इसमें किसी देश की सरकार अगले वित्तीय वर्ष के लिए आय-व्यय का ब्योरा पेश करती है. बजट का उद्देश्य सरकार की प्राथमिकताओं और नीतियों को परिभाषित करना है. भारत में 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2025-26 के लिए संसद में वार्षिक बजट पेश करेंगी. साल 2019 से निर्मला सीतारमण लगातार सात बार बही-खाते में बजट पेश कर चुकी हैं. इससे पहले, देश के वित्त मंत्री बजट की कॉपी को लाल रंग की अटैची में रखकर लाते थे और संसद में बजट पेश करते थे. आखिर, ऐसा क्या हुआ कि बजट की कॉपी लाल रंग की अटैची के बजाय लाल रंग के बही-खाते में रखकर लाई जाने लगी? आइए, जानते हैं भारतीय बजट का लाल अटैची से लेकर लाल रंग के बही-खाते तक का सफर.
बजट क्या है?
अंग्रेजी के अखबार “द हिंदू” की ओर से साल 2020 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, “बजट” शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द “Bougette” से हुई है. इसका अर्थ “चमड़े का बैग” होता है. आधुनिक बजट प्रणाली 18वीं सदी में ब्रिटेन में शुरू हुई. भारत में बजट पेश करने की परंपरा 1860 में जेम्स विल्सन ने शुरू की थी, जब उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए पहला बजट पेश किया था.
अटैची से बही-खाते में बदलाव क्यों हुआ?
भारत में बजट को 1947 से लेकर 2018 तक लाल रंग की अटैची (Briefcase) में पेश किया जाता रहा. यह परंपरा ब्रिटेन की बजट परंपरा से प्रेरित मानी जाती रही. साल 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस औपनिवेशिक परंपरा को समाप्त कर बजट को ‘बही-खाते’ के रूप में पेश किया.
बजट के लिए बही-खाता क्यों अपनाया गया?
इकोनॉमिक टाइम्स की ओर से साल 2019 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, बही-खाते को अपनाने का उद्देश्य भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों को प्राथमिकता देना था. इसके साथ ही, यह औपनिवेशिक प्रतीकों से दूर हटने और स्वदेशीता को बढ़ावा देने का प्रयास था.
बही-खाते का इस्तेमाल और इसका कारण
- भारतीय सांस्कृतिक प्रतीक: बही-खाता भारतीय लेखा-जोखा की पारंपरिक प्रणाली का हिस्सा है. पीआईबी (प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो) की एक रिपोर्ट में इसे भारतीय परंपराओं से जोड़ते हुए कहा गया कि यह सादगी और पारदर्शिता का प्रतीक है.
- औपनिवेशिक मानसिकता से अलगाव: लाल अटैची का इस्तेमाल औपनिवेशिक काल की परंपरा का हिस्सा था. इसे हटाकर सरकार ने भारतीय संस्कृति को प्राथमिकता दी.
- सरलता और पारदर्शिता: बही-खाता स्थानीय अर्थव्यवस्था और गांवों की परंपराओं के अनुरूप है. इकोनॉमिक टाइम्स ने इसे सरकार की पारदर्शिता और भारतीयता को बढ़ावा देने का माध्यम बताया है.
- राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण: बही-खाते का इस्तेमाल भारतीय पहचान और गौरव को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का प्रयास है.
भारत में सबसे पहला बजट किसने पेश किया?
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, 1860 में जेम्स विल्सन की पहला बजट पेश किया गया. इसके बाद, 1947 में आर.के. षण्मुखम चेट्टी ने स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया. 2019 में निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया बही-खाता एक ऐतिहासिक बदलाव था. इससे पहले वित्त मंत्री अटैची में दस्तावेज लाते थे.
बजट की वर्तमान प्रक्रिया
बजट हर साल फरवरी के पहले दिन संसद में पेश किया जाता है. यह दो हिस्सों में विभाजित होता है.
- राजस्व बजट: इसमें सरकार की आय और व्यय का ब्योरा होता है.
- पूंजीगत बजट: इसमें सरकार की दीर्घकालिक योजनाओं और निवेश का विवरण शामिल होता है.
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सरकार की आर्थिक नीतियों का प्रतिबिंब है बजट
द हिंदू और पीआईबी की रिपोर्ट के अनुसार, बजट न केवल वित्तीय दस्तावेज है, बल्कि यह सरकार की प्राथमिकताओं, आर्थिक नीतियों और सांस्कृतिक दृष्टिकोण का भी प्रतिबिंब है. अटैची से बही-खाते में बदलाव भारत की औपनिवेशिक परंपराओं से अलग होने और स्वदेशीता को बढ़ावा देने का प्रतीक है. यह बदलाव न केवल सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सरकार की पारदर्शिता और सरलता को भी दर्शाता है.
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