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वक्फ संशोधन अधिनियम पर जेपीसी में घमासान, 10 विपक्षी सांसद सस्पेंड

Ruckus in Parliament Over Wakf Amendment Act: हंगामे के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि उन्होंने कभी विपक्ष को बोलने से नहीं रोका, लेकिन विपक्षी नेताओं ने समिति की कार्यवाही में बाधा डालते हुए बदतमीजी की.

Ruckus in Parliament Over Wakf Amendment Act: वक्फ संशोधन अधिनियम पर चर्चा के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में शुक्रवार को भारी हंगामा हुआ, जिसके बाद समिति ने विपक्ष के 10 सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया. निलंबित किए गए सांसदों में असदुद्दीन ओवैसी, कल्याण बनर्जी, इमरान मसूद, ए राजा, नासिर हुसैन, नदीमुल हक, अरविंद सावंत, और एम. मोहम्मद अब्दुल्ला (डीएमके) जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं.

हंगामे के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि उन्होंने कभी विपक्ष को बोलने से नहीं रोका, लेकिन विपक्षी नेताओं ने समिति की कार्यवाही में बाधा डालते हुए बदतमीजी की. उन्होंने कहा, “आज जिस तरह से बर्ताव किया गया, वह किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है.”

तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल के सांसद मनमानी कर रहे हैं. विपक्ष के सांसद इस बात पर आपत्ति जता रहे थे कि बैठक को अचानक बुलाया गया और एजेंडा में बदलाव किया गया. सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी सदस्य इस मामले को लोकसभा स्पीकर तक ले जाएंगे और आरोप लगाएंगे कि जेपीसी की बैठक को अलोकतांत्रिक तरीके से चलाया जा रहा है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बैठक की तारीख और एजेंडे को अचानक बदला जा रहा है, जिससे विधेयक पर गहन चर्चा संभव नहीं हो पा रही.

भाजपा सांसद राधामोहन अग्रवाल ने विपक्ष के हंगामे को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा, “INDI ठगबंधन के सदस्य कश्मीर के सामाजिक और धार्मिक प्रतिनिधियों को बोलने का मौका भी नहीं दे रहे थे. मजबूरी में समिति को इन्हें निलंबित करना पड़ा.”

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गौरतलब है कि वक्फ संशोधन विधेयक पर विवाद 8 अगस्त को इसके लोकसभा में पेश होने के बाद से जारी है. विपक्षी दल इसे मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बता रहे हैं, जबकि भाजपा का कहना है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाएगा.

पिछले महीने समिति ने कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश से वक्फ संपत्तियों की स्थिति पर विस्तृत जानकारी मांगी थी, जिसमें वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण, आय के स्रोत, और उनकी प्रकृति में संभावित बदलावों पर सवाल शामिल थे. राज्यों से मिले जवाबों को असंतोषजनक बताते हुए समिति ने 15 दिन का अतिरिक्त समय दिया था. इस विधेयक को लेकर विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच बढ़ता टकराव इसे और अधिक संवेदनशील मुद्दा बना रहा है. 27 जनवरी को प्रस्तावित बैठक पर सभी की निगाहें होंगी.

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