Republic Day 2025: भारत और चीन के सैनिकों के बीच 5 साल पहले 15 जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में खूनी झड़प हुई थी. इसमें करीब 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी. जिनमें से 5 सैनिक बिहार के रहने वाले थे. इसमें पटना के हवलदार सुनील कुमार, सहरसा के सिपाही कुंदन कुमार और वैशाली के सिपाही जयकिशोर सिंह शामिल थे.बता दें कि कुंदन 2012 में बिहार रेजीमेंट 16 में बतौर सिपाही के पद पर सेना में भर्ती ली थी. उनकी पहली पोस्टिंग अरुणाचल प्रदेश, फिर जम्मू कश्मीर उसके बाद लद्दाख में हुई थी.
पांच साल बीत जाने के बाद भी सरकार के कई वादे अधूरे
उस समय सरकार ने शहीदों के पीड़ित परिवार को हर संभव मदद और सरकारी नौकरी से लेकर जमीन देने का ऐलान किया था. लेकिन पांच साल बीत जाने के बावजूद कई वादे अधूरे हैं. बता दें कि शहीद कुंदन कुमार के परिवार की स्थिति आज भी दयनीय है. उनके परिवार को सरकारी वादों का अभी तक इंतजार है. उनका परिवार आज भी जिला मुख्यालय से लेकर राजधानी पटना तक चक्कर काटने को विवश है. शहादत के बाद सरकार ने परिवार को पांच एकड़ जमीन देने का वादा किया था, लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी यह वादा पूरा नहीं हुआ है.
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बेटे के शहीद होने की जानकारी मिली तो पिता के उड़े होश
हालांकि, शहीद की पत्नी बेबी कुमारी को सहरसा के डीसीएलआर कार्यालय में लिपिक की नौकरी मिली है. लेकिन वह अपने दो छोटे बच्चों रोशन (8) और राणा (6) के साथ किराए के मकान में रहने को मजबूर हैं. शहीद के पिता निमेंद्र यादव ने बताया कि ’16 जून की रात करीब 10 बजे उन्हें लद्दाख के आर्मी कैंप से फोन आया कि आपका बेटा चीन से हुए झड़प में शहीद हो गया है. यह सुनकर कुछ देर के लिए मेरे होश उड़ गए. खुद को संभालते हुए मैंने दोबारा पूछा तो उन्होंने दोहराते हुए कहा आपका बेटा देश सेवा में शहीद हो गया है. उसके बाद मैंने परिवार वालों को इसकी जानकारी दी. 17 जून को आर्मी गाड़ी से मेरे बेटे की पार्थिव शरीर सम्मान के साथ घर पहुंची थी.
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