निबंधन कार्यालय में दलालों का है बोलबाला, दस्तावेज बनाने वाले भी करते हैं खेल
मुंगेर. रिटायर्ड आइएएस अधिकारी व प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात एसपीजी कमांडो की जमीन को जालसाजी कर दलाल और कर्मचारियों की मिलीभगत से दूसरों को केवाला करने के मामले के बाद एक बार फिर मुंगेर निबंधन कार्यालय सुर्खियों में है. इस मामले को लेकर कोतवाली थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी है, लेकिन कार्रवाई शून्य है. वैसे मुंगेर निबंधन कार्यालय का यह कोई पहला मामला नहीं है जब बदनामी का दाग विभाग पर लगा है. इससे पहले भी यहां विजिलेंस की टीम ने रिश्वत लेते निबंधन कार्यालय के कर्मी को गिरफ्तार किया था.विजिलेंस ने किया था रिकार्डपाल को गिरफ्तार
सितंबर 2011 में मुंगेर रजिस्ट्री ऑफिस में निगरानी जांच ब्यूरो के अधिकारियों ने छापा मारा था. जिला निबंधन कार्यालय में अभिलेख संधारक (रिकार्डपाल) के रूप में तैनात इंद्रदेव चौधरी को रिश्वत लेते रंगे हाथों निबंधन कार्यालय से गिरफ्तार किया था. जिस पर आरोप था कि वह निबंधन पत्र के प्रति नकल निकालने के नाम पर लोगों से 1500 रुपये रिश्वत लेते हैं. हवेली खड़गपुर के एक व्यक्ति की शिकायत पर विजिलेंस की टीम ने रिकार्डपाल को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद कुछ दिनों तक कार्यालय से दलालों का सफाया हो गया था. लेकिन महीने-दो महीने के बाद फिर यहां दलालों का बोलबाला हो गया.
अभिलेख चोरी के मामले में मुंशी को भेजा गया था जेल
निबंधन कार्यालय में दलालों का बोलबाला रहा है. जो न सिर्फ जमीन की खरीद-बिक्री में भूमिका निभा रहा है, बल्कि कार्यालय से दस्तावेज को भी गायब करवाता है. दस्तावेज चोरी के मामले में पहले भी एक मुंशी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था. बताया जाता है कि मार्च 2024 में निबंधन कार्यालय के रिकॉर्ड रूम से एक तथाकथित मुंशी को दस्तावेज चोरी करते हुए पकड़ा गया था, जो कासिम बाजार थाना क्षेत्र के लल्लूपोखर कृष्णा रोड निवासी विनोद कुमार था. तत्कालीन रजिस्ट्रार अनु कुमार ने बताया था कि मुंशी विनोद कुमार जमीन के दस्तावेज का नकल निकालने के उद्देश्य से रिकार्ड (जिल्द) का मुआयना करने अभिलेखागार गया था. इस दौरान रिकॉर्ड के मूल दस्तावेज के अभिलेख से बीच का 6 पन्ना फाड़ कर बाहर होटल में बैठे किसी परिचित को दे दिया. उक्त तथाकथित मुंशी को पकड़ कर निबंधन विभाग के कर्मियों ने कोतवाली थाना पुलिस को सौंप दिया था. जबकि रिकॉर्ड रूम के प्रधान क्लर्क शैयद मो. जियाउद्दीन के बयान पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. लेकिन अब तक यह पता नहीं चल पाया कि वह कैसे अंदर गया और कैसे दर्जन भर कर्मियों के बीच दस्तावेज की चोरी कर दूसरे को दे दिया था.
रिटायर्ड आईएएस व एसपीजी कमांडो तक की बेच दी गयी जमीन
मुंगेर. दलालों ने निबंधन कार्यालय कर्मी के मिलीभगत से भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत अधिकारी की पुश्तैनी जमीन को फर्जीवाड़ा कर रजिस्ट्री करा दी है. उनकी यह जमीन बरियारपुर अंचल के हरिणमार मौजा में है. उनकी पुश्तैनी जमीन को मुंगेर निबंधन कार्यालय में किसी पंकज कुमार नामक व्यक्ति ने हरिणमार के ही हंसु मंडल टोला निवासी बहादुर यादव एवं विलास रजक को केवाला कर दिया. जिसको लेकर रिटायर्ड आईएएस ने कोतवाली थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है. जबकि पीएम सुरक्षा में तैनात एसपीजी कमांडो निर्मल कुमार व उसके भाई अमरजीत के नाम पर खरीदी गयी जमीन को दूसरे से दूसरों को बेच दिया. इसको लेकर उसने कोतवाली थाना में प्राथमिकी दर्ज करायी है. जिसमें उसने कहा कि जमालपुर शहर के दौलतपुर में 28 जनवरी 2021 को एक जमीन खरीदी थी. जिसे गुलशन कुमारी को उसके पति अशोक साह ने किसी दूसरे को मुझे व मेरे भाई अमरजीत कुमार के स्थान पर निबंधन कार्यालय में खड़ा कर जालसाजी के माध्यम से केवाला करवा लिया है.
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