Muzaffarpur News: जिले के ब्रह्मपुरा थाना क्षेत्र से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां किसी ने एक नवजात बच्चे को माड़ीपुर सड़क किनारे छोड़ दिया था. बच्चा लावारिश स्थिति में सड़क किनारे पड़ा मिला. बच्चे की आवाज सुनकर मौके पर भीड़ इकट्ठा हो गई. वहां देखा की भीड़ में शामिल लोग सिर्फ नवजात का वीडियो बना रहा था. कोई उसको उठाने के लिए आगे नहीं बढ़ रहा है. इसी दौरान वहां से ब्रह्मपुरा थाना के सिपाही राम पुकार कुमार, जो सदर बी अंचल के साहब की गाड़ी के चालक हैं, वे वहां से गुजर रहे थे उन्होंने बच्चे को उठाया और अपने सीने से लगा लिया.
सिपाही ने बच्चे को अस्पताल में कराया भर्ती
इसके बाद सिपाही आगे बढ़ा नवजात को अपनी गोद में लेकर इलाज कराने के लिए केजरीवाल हॉस्पिटल लेकर पहुंच गए. डॉक्टरों ने बच्चे का इलाज शुरू किया. पहले बच्चे की स्थिति खराब थी. लेकिन, इलाज के बाद उसकी हालत में धीरे- धीरे सुधार हो रहा है. उन्होंने अपने खर्च पर बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया. जानकारी के अनुसार, बच्चे का इलाज कराने के बाद अब सिपाही राम पुकार कुमार उसे गोद भी लेना चाहते हैं.
पटना के बाढ़ जिले का रहने वाला है सिपाही
नवजात की जान बचाने वाला सिपाही राम पुकार कुमार जो मूल रूप से पटना जिले के बाढ़ थाना के एतवा का रहने वाला है. वह अब बच्चे को गोद लेकर उसकी परवरिश करना चाहता है. सिपाही की इस मानवता को परिवार के सदस्य सराह रहे हैं. नवजात का इलाज करने वाले शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि बच्चे का वजन दो किलो 15 ग्राम है. जिस समय भर्ती कराया गया उस समय स्थिति काफी नाजुक थी. पुलिस ने उनको जानकारी दिया कि इमलीचट्टी पेट्रोल पंप के समीप कचड़े के ढेर में फेंका हुआ था. इसका इलाज जारी है. हालत में तेजी से सुधार हो रहा है.
क्या है भारत में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया?
भारत में बच्चे गोद लेने की प्रक्रिया केंद्रीय गोद लेने संसाधन प्राधिकरण (CARA) द्वारा नियंत्रित की जाती है, जो महिला और बाल विकास मंत्रालय के तहत काम करता है. गोद लेने की प्रक्रिया इस प्रकार होती है:
1. योग्यता मानदंड:
– भारतीय नागरिकों के लिए: गोद लेने वाले माता-पिता की आयु कम से कम 25 वर्ष होनी चाहिए और बच्चे और माता-पिता के बीच आयु का अंतर कम से कम 21 वर्ष होना चाहिए. दंपत्तियों को कम से कम 2 साल तक वैवाहिक जीवन बिता हुआ होना चाहिए, लेकिन कुछ विशेष श्रेणी के बच्चों (जैसे विकलांग बच्चों) के लिए इसमें छूट हो सकती है.
– विदेशी नागरिकों के लिए: उन्हें भारत में एक साल तक रहना आवश्यक है या फिर यदि वे विदेश में रहते हैं और भारतीय बच्चे को गोद लेना चाहते हैं, तो वे आवेदन कर सकते हैं.
2. पंजीकरण:
– संभावित गोद लेने वाले माता-पिता को CARA या एक मान्यता प्राप्त गोद लेने एजेंसी के साथ पंजीकरण करना होता है. इसके लिए एक आवेदन पत्र भरना होता है, जिसमें व्यक्तिगत, वित्तीय और पारिवारिक जानकारी दी जाती है.
3. होम स्टडी:
– पंजीकरण के बाद, एजेंसी गोद लेने वाले माता-पिता का होम स्टडी करती है. इसमें साक्षात्कार, घर की जांच और बैकग्राउंड चेक शामिल होता है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि माता-पिता भावनात्मक, शारीरिक और वित्तीय रूप से बच्चे को गोद लेने के लिए सक्षम हैं.
4. बच्चे का संदर्भ:
– एक बार मंजूरी मिलने के बाद, माता-पिता को उनके द्वारा निर्धारित किए गए मानदंडों (जैसे आयु, लिंग, स्वास्थ्य स्थिति) के अनुसार बच्चे का संदर्भ दिया जाता है. वे बच्चे के विवरण की समीक्षा करते हैं, और यदि वे सहमत होते हैं, तो वे अगले कदम की ओर बढ़ते हैं.
5. कानूनी प्रक्रिया:
– संदर्भ स्वीकार करने के बाद, गोद लेने वाले माता-पिता को अदालत में गोद लेने का आदेश प्राप्त करने के लिए आवेदन करना होता है. यह एजेंसी के माध्यम से या सीधे जिला अदालत में किया जा सकता है.
6. पोस्ट-गोद लेने अनुवीक्षण:
– गोद लेने के बाद, एजेंसी द्वारा कुछ समय (आमतौर पर 2 साल तक) तक फॉलो-अप किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बच्चे की भलाई और उसकी देखभाल सही तरीके से हो रही है.
7. गोद लेने का अंतिमकरण:
– जब अदालत संतुष्ट हो जाती है कि बच्चा और माता-पिता के बीच स्थिति ठीक है, तो वह एक अंतिम गोद लेने का आदेश जारी करती है, जिससे बच्चा कानूनी रूप से गोद लेने वाले माता-पिता का बच्चा बन जाता है.
यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि गोद लेना एक सुरक्षित और कानूनी तरीके से किया जाए, जिसमें बच्चे की भलाई को सर्वोपरि रखा जाए.