महाकुंभ में शाही स्नान को लेकर मंगलवार से ही उम्मीद से ज्यादा भीड़ जमा हो गयी थी. देर रात को अमृत स्नान करने लिए आपाधापी मचली और संगम तट मची भगदड़ में कइयों ने अपनों को खो दिया. घटना के बाद संगम तट पर हर तरफ अफरा तफरी का माहौल था. लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए एक-दूसरे को रौद दिया. लोग अपने सामान, जूता, चप्पल, कपड़ा सब कुछ फेंक कर अपनी जान बचाने में जुटे थे. भगदड़ खत्म होते ही युवा, औरतें, बच्चे, बूढ़े, बुजुर्ग सभी अपने-अपने लोगों को खोजते नजर आये. घटना के फौरन बाद संगम घाट जाने वाले रास्ते को बंद कर दिया गया. वहीं, तमाम अखाड़ों के शाही स्नान पर रोक लगा दी गयी. शाही स्नान के लिए अपने अपने भक्तों के साथ अपने रथ पर सवार अखाड़ों के मंडलेश्वर अपने-अपने शिविरों में लौट आए. उधर, प्रशासनिक अधिकारियों ने भी घोषणा शुरू कर दी कि जो जहा हैं, वही से अपने सुरक्षित स्थान पर चले जाएं.
घटना के बाद घर लौटे लोग
घटना के बाद हर तरफ चीख पुकार मची थी. इसके बाद लोग वापस लौटने लगे. लिहाजा समीप के नैनी स्टेशन पर भी काफी संख्या में भीड जमा हो गयी. भीड़ के कारण कोई फिर हादसा न हो, इसे ध्यान में रखकर स्टेशन पर यात्रियों के इंट्री करने वाले रास्ते को भी बंद कर बारी-बारी से आधे-आधे घंटे बाद खोला जा रहा था. वहीं, हर आधे घंटे पर कुंभ स्पेशल ट्रेन वाराणसी और डीडीयू समेत विभिन्न स्टेशनों के लिए चलायी जा रही थी. नैनी स्टेशन पर एकाएक हुई भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने स्टेशन से श्रद्धालुओं को गंतव्य जगह पहुंचाने के लिए बस सेवा शुरू की.
छपरा के सुशील कुमार ने कई लोगों की बचाई जान
शाही स्नान करने पहुंचे छपरा के सुशील कुमार संगम पर हुई भगदड़ के दैरान अपनी पत्नी के साथ फंसे थे. इसके बावजूद उन्होंने खुद अपनी और अपनी पत्नी की जान की परवाह किये बगैर भगदड़ में फंसे कई महिलाओं व बच्चों की मदद की. हालांकि,पति-पत्नी दोनों घटना में कारण चोटिल भी हुए, लेकिन लोगों की मदद करते रहे. उन्होंने बताया कि भगदड़ में हमारी आंख के सामने कई लोगों ने अपनों को खो दिया.
बिहार और यूपी आने वाली ट्रेनों में पैर रखने का नहीं थी जगह
शाही स्नान में मची भगदड़ के बाद प्रयागराज और नैनी से आने वाली सभी ट्रेनों में पैर रखने की भी जगह नहीं थी. लोग ट्रेन के दरवाजे से लेकर शौचालय तक में भेड़-बकरी की तरह लदे थे. यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. टेनों में जिसको जहां जगह मिली, वही खड़े होकर सफर करने को मजबूर रहा.
कई लोगों के सर फटे, तो कई लोगों के आभूषण और रुपये गिर गये
यूपी के मऊ जिला की 65 साल की दुगावती देवी अपनी बेटी सुनीता के साथ प्रयागराज गयी थीं. भगदड़ के कारण वह बेटी से बिछड़ गयीं. उनके साथ शाही स्नान करने गये राधे सिंह और मुरली सिंह भी घटना के बाद नहीं मिले. दुर्गावती देवी ने कहा की उनके पास कोई जानकारी नहीं है कि वे लोग कहा हैं, किस हालत में है? प्रशासन ने उनकी मदद नहीं की. उन्होंने बताया कि भगदड़ में कई लोगों के सिर फट गये, तो उनके साथ स्नान करने गयीं महिलाओं की गहने गिर गये.
एक दर्जन लोगों के साथ प्रयागराज गयी थीं गुलाबी देवी
सुपौल. राघोपुर थाना क्षेत्र के रामविशनपुर दहीपौरी गांव के वार्ड नंबर दो निवासी 73 वर्षीया गुलाबी देवी ग्रामीणों के साथ तीन दिन पहले प्रयागराज कुंभ स्नान करने गयी थी. लेकिन, उन्हें क्या पता था कि यह उनकी जिंदगी का आखिरी स्नान होगा. बुधवार की अहले सुबह मौनी अमावस्या के दौरान हुई भगदड़ में अचानक उनकी मौत हो गयी. ग्रामीण समाजसेवी बबलू दास ने बताया कि 27 जनवरी को लगभग एक दर्जन लोगों के साथ गुलाबी देवी भी अपने छोटे बेटे, जो बाहर में कार्य करता है, को साथ लेकर कुंभ स्नान के लिए गयी थीं. गुलाबी देवी को के बेटे पवन यादव व नारायण यादव हैं. नारायण मां के साथ ही था. गुलाबी देवी के पति बिहारी यादव की मौत दो वर्ष पूर्व सड़क दुर्घटना में हो गयी थी. गुलाबी देवी का शव पोस्टमार्टम कराकर एम्बुलेंस से गांव के लिए भेज दिया गया है. शव के साथ पुत्र नारायण यादव व एक भतीजा गांव आ रहे हैं. संभावना है कि गुरुवार की दोपहर तक शव गांव पहुंच जायेगा.
प्रभात खबर के लिए अविरल कुमार की खास रिपोर्ट