मौनी अमावस्या पर्व पर बुधवार को महाकुंभ में और भी बड़ा हादसा हो सकता था, लेकिन योगी सरकार की प्री प्लांड तैयारियों और अधिकारियों की सक्रियता ने इसे सीमित कर दिया. यहां आए साधु, संतों और श्रद्धालुओं ने योगी सरकार द्वारा यहां की गई व्यवस्थाओं और सुविधाओं को लेकर यह प्रतिक्रिया दी. उनका कहना है कि महाकुंभ में योगी सरकार ने बहुत बेहतर व्यवस्था की है, अगर ऐसा न होता, तो बुधवार को हुआ हादसा और बड़ा हो सकता था.
पल-पल की रिपोर्ट लेते रहे सीएम योगी
योगी सरकार, मेला प्रशासन और मेला पुलिस की सजगता और सक्रियता ने इस हादसे को सीमित कर दिया. खुद सीएम योगी इस घटना की पल-पल की रिपोर्ट लेते रहे. घटना की सूचना मिलते ही सीएम योगी ने अधिकारियों से अपडेट लिया और तड़के ही अपने सरकारी आवास पर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के साथ उच्च स्तरीय बैठक कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए.
अफवाह की वजह से घटी घटना: महामंडलेश्वर स्वामी प्रकाशानंद
श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी प्रकाशानंद ने कहा कि महाकुंभ में अफवाह की वजह से यह घटना घटी, लेकिन योगी की सरकार ने, उनकी पुलिस ने इस घटना पर तुरंत एक्शन लिया, जिससे बहुतों की जान बच गई. जिस तरह की भीड़ थी, ये हादसा बहुत बड़ा हो सकता था. ये योगी सरकार की व्यवस्था थी, यूपी पुलिस का क्विक रिस्पांस था, जिसने घटना को सीमित कर दिया. इसके लिए योगी सरकार को साधुवाद.
शासन-प्रशासन ने मुस्तैदी दिखाते हुए घटना को नियंत्रित किया
नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि मौनी अमावस्या पर देश और दुनिया से करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. शासन-प्रशासन ने मुस्तैदी दिखाते हुए घटना को नियंत्रित कर लिया. सरकार और व्यवस्था में लगे अधिकारियों की मेहनत से महाकुंभ का अमृत स्नान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो रहा है.
घटना के लिए काफी हद तक पब्लिक भी जिम्मेदार
एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक योगी सरकार ने मौनी अमावस्या की फुलप्रूफ प्लानिंग की थी, जो घटना घटी, उसके लिए काफी हद तक पब्लिक भी जिम्मेदार है. यदि धक्का-मुक्की नहीं होती, तो यह घटना नहीं घटती. गोपालगंज बिहार से आई कुमकुम श्रीवास्तव ने बताया कि महाकुंभ आकर बहुत अच्छा लगा. योगी सरकार ने अच्छी व्यवस्था की है, लेकिन जो घटना घटी, उसके लिए भारी भीड़ और कुछ लोगों की लापरवाही की बड़ी भूमिका है. प्रशासन की ओर से तो बार-बार कहा जा रहा था कि जिस स्थान पर आएं, वहीं स्नान करें, तो फिर संगम नोज जाने की क्या आवश्यकता थी?