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Delhi Election 2025: मुस्लिम मतदाताओं को साधने के लिए आप दिखा रही है भाजपा का डर

आप और कांग्रेस मुस्लिम मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने के लिए जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं. ओवैसी की पार्टी के मैदान में उतरने से आप और कांग्रेस के लिए मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में लाने की हर संभव कोशिश की जा रही है. ओवैसी की पार्टी दिल्ली में भले ही दो सीट पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन दिल्ली दंगों के आरोपी को प्रत्याशी बनाने से मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण की संभावना बढ़ गयी है.

Delhi Election 2025: दिल्ली में मतदान के लिए अब एक हफ्ते से कम का समय बचा है. ऐसे में सभी दल अपने कोर वोटर को साधने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मुस्लिम मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने के लिए जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं. ओवैसी की पार्टी के मैदान में उतरने से आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लिए मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में लाने की हर संभव कोशिश की जा रही है. ओवैसी की पार्टी दिल्ली में भले ही दो सीट पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन एआईएमआईएम के दिल्ली दंगों के आरोपी को प्रत्याशी बनाने से मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण की संभावना है. दिल्ली में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 13 फीसदी है और पांच सीटों पर मुस्लिम मतदाता बहुतायत है, जबकि कई अन्य सीटों पर हार-जीत में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

दिल्ली में मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसंद कांग्रेस हुआ करती थी, लेकिन पिछले दो चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का पूरा समर्थन आम आदमी पार्टी को मिला है. लेकिन नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए आंदोलन और उसके बाद हुए दिल्ली दंगों में आम आदमी पार्टी की भूमिका को लेकर मुस्लिम मतदाताओं में इस बार केजरीवाल के खिलाफ नाराजगी देखी जा रही है. इस नाराजगी का ओवैसी पूरा फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. चुनाव प्रचार के दौरान ओवैसी केजरीवाल के खिलाफ आक्रामक अभियान चला रहे हैं और इससे मुस्लिम मतदाताओं में आम आदमी पार्टी को लेकर पहले की तरह समर्थन नहीं दिख रहा है. 


सपा के सहारे मुस्लिम वोट हासिल करने में जुटी आप

पिछले दो चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटों पर आम आदमी पार्टी को एकतरफा जीत मिलती रही है. लेकिन इस बार के हालात पहले जैसे नहीं हैं. आप की ओर से मुस्लिम बहुल सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारा गया है. लेकिन कांग्रेस की सक्रियता और ओवैसी के कारण मुस्लिम मतदाताओं में आम आदमी के प्रति पहले जैसा रुझान नहीं दिख रहा है. मुस्लिम मतों को साधने के लिए आम आदमी पार्टी ने सपा के भरोसे हैं. सपा के कई मुस्लिम सांसद मुस्लिम बहुल इलाकों में आप के लिए प्रचार कर रहे हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी केजरीवाल के साथ प्रचार कर रहे हैं. यही नहीं आम आदमी पार्टी मुस्लिम बहुल इलाकों में यह संदेश दे रही है कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए आम आदमी पार्टी का समर्थन जरूरी है. मुस्लिम अगर कांग्रेस और ओवैसी को वोट देंगे तो इसका फायदा भाजपा को होगा. 

सीलमपुर, बाबरपुर, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, बल्लीमारान, मटिया महल और ओखला जैसी सीटों में आप के उम्मीदवार इसी रणनीति के तहत चुनाव लड़ रही है और यह बताने की कोशिश कर रही है कि आप की बजाय दूसरों दलों को वोट देने का सीधा फायदा भाजपा को होगा. लेकिन देखने वाली बात होगी कि आप की यह रणनीति कितनी सफल होती है. क्योंकि कांग्रेस भी इन सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ रही है और इन क्षेत्रों में जीत की जिम्मेवारी कांग्रेस ने मुस्लिम नेताओं को सौंप रखी है. हाल के वर्षों में मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की ओर हुआ है. 

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