Delhi Election 2025: दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुफ्त की योजनाओं को लेकर कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच होड़ मची है. चुनाव के दौरान हर दल अपने घोषणा को बेहतर बताने की कोशिश में जुटा है. वहीं आम आदमी पार्टी मुफ्त बिजली, पानी और महिलाओं को मुफ्त में बस यात्रा की बात को प्रमुखता से सामने रख रही है. पार्टी का कहना है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के लोगों से किए वादे को पूरा किया है और आने वाले समय में वही वादों को पूरा कर सकती है. लेकिन आम आदमी पार्टी काे ऐसा लग रहा है कि विपक्षी दलों की घोषणा के बाद नये वादो को लेकर जनता में पहले जैसा उत्साह नहीं है.
ऐसे में आम आदमी पार्टी लोगों के बीच यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि दिल्ली में अगर उसकी सरकार नहीं बनी तो मुफ्त की योजनाओं को बंद कर दिया जायेगा. पार्टी की ओर से लगातार यह बात हर माध्यम से प्रचारित- प्रसारित किया जा रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि दिल्ली में चल रही जनकल्याणकारी योजनाओं को बंद नहीं किया जायेगा. ऐसी योजनाओं को बेहतर बनाने का काम किया जायेगा. ऐसे में आम आदमी पार्टी की लोगों में दूसरे दल की सरकार बनने पर डर बनाने की रणनीति सफल होती नहीं दिख रही है.
आप सरकार से होने वाले बचत को सामने लाने की कोशिश
दिल्ली में इस बार का चुनाव एकतरफा नहीं दिख रहा है. मुकाबला आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के बीच होते दिख रही है. हालांकि मैदान के कई छोटे दल भी हैं. पिछले 10 साल से दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के सामने इस बार कई तरह की चुनौतियां है. पिछले दो चुनाव के बाद कांग्रेस मजबूती से चुनाव लड़ रही है. साथ ही आम आदमी पार्टी की काट के लिए कांग्रेस और भाजपा की ओर से भी कई वादे किए गए है. ये वादे आम आदमी पार्टी के हर वादे पर भारी पड़ते दिख रहे हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी अब दिल्ली के लोगों को यह बताने की कोशिश कर रही है कि कैसे आप सरकार की योजनाओं से लोगों काे हर महीने हजारों रुपये की बचत हो रही है.
आम आदमी पार्टी का कहना है कि मुफ्त शिक्षा, ईलाज, पानी और महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा से हर परिवार की 8-10 हजार रुपये महीने की बचत हो रहा है. केजरीवाल ने अपने बयान में बार-बार दोहरा रहे है कि दिल्ली सरकार की योजनाओं से दिल्लीवासियों को मिल रही इन सेवाओं का लाभ भाजपा के सत्ता में आने के बाद बंद हो जायेगा. केजरीवाल अपने वोटरों को यह संदेश देने में कुछ हद तक सफल भी होते दिख रहे हैं कि जिन योजनाओं का लाभ वह बीते 10 वर्षों से दिल्ली की जनता को उपलब्ध करा रहे हैं, वैसे ही योजनाओं को लेकर दूसरे दलों की ओर रूख करने का क्या फायदा.