Rourkela News: सूबे के मुखिया मोहन चरण मांझी के राउरकेला दौरे से पहले पुलिस आमरण अनशन पर बैठे मुक्तिकांत बिश्वाल को राउरकेला सरकारी अस्पताल (आरजीएच) ले गयी. राउरकेला एयरपोर्ट एक्शन कमेटी के बैनर तले मुक्तिकांत ने राउरकेला एयरपोर्ट को 4सी लाइसेंस प्रदान करने, सेल से जमीन एएआइ को हस्तांतरित करने, आइएलएस की स्थापना, नाइट लैंडिंग की सुविधा प्रदान करने की मांग को लेकर 27 जनवरी से आमरण अनशन शुरू किया था. शुक्रवार को ही चार नये साथी आमरण अनशन में जुड़ गये थे. चारों भी मुक्तिकांत के साथ आमरण अनशन पर बैठे थे. सभी ने दोहराया कि उनकी मांग जब तक पूरी नहीं होती है, तब तक वे आंदोलन जारी रखेंगे.
एक जनवरी से शुरू किया था बेमियादी धरना
राउरकेला एयरपोर्ट के विकास से संबंधित चार सूत्री मांगों को लेकर एयरपोर्ट एक्शन कमेटी की ओर से पहली जनवरी से 26 जनवरी तक एयरपाेर्ट चौक पर बेमियादी धरना दिया गया था. इस मांग के समर्थन में राजनीतिक दलों, श्रमिक संघों, सामाजिक संस्थानों, सांस्कृतिक संगठनों, धार्मिक संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों, सेवानिवृत्त कर्मचारी संघों, शिक्षक संघों, व्यापारी संघों आदि का सहयोग मिला था. लेकिन सत्तारूढ़ दल और स्थानीय प्रशासन ने राउरकेला के लोगों के हितों से संबंधित मांगों का समर्थन नहीं किया. जिससे कमेटी ने आमरण अनशन शुरू किया था.
मुख्यमंत्री के पास हमारे लिए पांच मिनट भी नहीं : मुक्तिकांत
पुलिस द्वारा हटाये जाने के दौरान मुक्तिकांत सूबे के नये मुखिया पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार जिस तरह से शोषण कर रही थी, उसी नीतियों का पालन अब नये मुखिया कर रहे हैं. उनके पास हमारे लिए पांच मिनट भी नहीं है. हम शहर की इस प्रमुख मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. हमारी बात सुनने के बजाय हमें बलपूर्वक हटाया जा रहा है, जो पूरी तरह से लोकतंत्र के खिलाफ है. हम इसकी निंदा करते हैं.
स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर एंबुलेंस से ले जाया गया
मुक्तिकांत को हटाने के लिए पुलिस एंबुलेंस लेकर पहुंची. स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया गया और उन्हें बलपूर्वक हटाया गया. मुक्तिकांत ने दावा किया कि उनकी तबीयत पूरी तरह से ठीक है और वे स्वस्थ हैं. मुक्तिकांत ने पहले से ही धरनास्थल पर एक चिकित्सक को बुलाया था. कहा कि जांच करा चुके हैं. उनकी स्थिति ठीक है.
जारी रहेगा संघर्ष
मुक्तिकांत ने आगे कहा का भले ही आज उन्हें हटा दिया गया है, लेकिन उनका संघर्ष जारी रहेगा. जब तक मांग पूरी नहीं होती है, वे तब तक आंदोलन करते रहेंगे.
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