मरीजों के इलाज के दौरान संक्रमण से बचाव बेहद जरूरी है. यही वजह है कि अस्पतालों में मरीजों के इलाज के दौरान उनको संक्रमण से बचाते हुए चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करायी जाती है. इसके लिए अस्पताल की साफ-सफाई से लेकर संक्रमण से बचाव के तमाम तरह के उपाय किये जाते हैं. राज्य के तीसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) की सेंट्रल इमरजेंसी में संक्रमण के बीच मरीजों का इलाज किया जा रहा है. इमरजेंसी के माइनर ओटी में जहां-तहां खून का धब्बा पसरा हुआ दिख जायेगा. वहीं रक्त से सने स्ट्रेचर पर मरीजों का इलाज किया जाता है. इमरजेंसी के महिला व पुरुष वार्ड में लगे कई बेड भी टूटे हुए है. प्रभात खबर ने शनिवार को अस्पताल के इमरजेंसी का जायजा लिया.
माइनर ओटी : चार-पांच दिनों से नहीं बदला गया था टेबल का प्लास्टिक
माइनर ओटी में जिस ओटी टेबल पर मरीजों को लेटाकर इलाज किया जाता है. उसपर खून का धब्बा लगा हुआ था. पूछने पर पता चला कि पिछले चार-पांच दिनों से ओटी टेबल पर बिछाये गये प्लास्टिक को बदला नहीं गया है. वहींं माइनर ओटी के फर्श पर मरीजों के गिरे खून से बदबू आ रही थी.
खून लगे स्ट्रेचर की नहीं होती सफाई :
एसएनएमएमसीएच की इमरजेंसी में बड़ी संख्या में सड़क दुर्घटना में घायल समेत विभिन्न बीमारियों से ग्रसित गंभीर मरीज पहुंचते है. यहां उन्हें स्ट्रेचर पर माइनर ओटी तक ले जाया जाता है. शनिवार को प्रभात खबर की टीम ने पाया कि स्ट्रेचर पर खून लगा हुआ है. मरीज के पहुंचने पर इसी पर लेटाकर उन्हें अंदर ले जाया जा रहा है. खून लगे स्ट्रेचर की सफाई नहीं होती.टूटे बेड से मरीजों के गिरने का खतरा :
इमरजेंसी में महिला व पुरुष वार्ड हैं. वर्तमान में दोनों वार्ड में कई बेड टूटे हुए है. इसी में मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जाता है. कई बेड की स्थिति ऐसी है कि इसपर ठीक से बैठना तक मुश्किल है. बेड पर सोने पर नीचे गिरने का खतरा बना रहता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है