मनिका. 19वां मनरेगा दिवस पर ग्राम स्वराज्य मजदूर संघ एवं नरेगा सहायता केंद्र की ओर से रैली निकाली गयी, वहीं प्रखंड परिसर में जागरूकता सम्मेलन का आयोजन किया गया. रैली स्थानीय हाई स्कूल परिसर से निकली, जो मेन रोड होते हुए प्रखंड कार्यालय परिसर पहुंची. सम्मेलन में नरेगा वॉच के राज्य संयोजक जेम्स हेरेंज ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के लागू हुए 19 वर्ष हो गये हैं. बीते लगभग दो दशक में इस महत्वकांक्षी योजना से गांव में अनेक टिकाऊ परिसंपत्ति का सृजन हुआ. मजदूरों ने काम के अधिकार का लाभ उठाया है. लेकिन, हाल के कुछ वर्षों से मनरेगा में अत्यधिक तकनीक के इस्तेमाल, मजदूरों के जॉब कार्ड को रद्द करना, कम मजदूरी दर, लगातार केंद्रीय बजट आवंटन में कटौती, ग्राम पंचायतों की संवेदनहीनता जैसे अनेक वजहें हैं. इस कारण मजदूरों की परेशानियां बढ़ी है. ग्राम स्वराज्य मजदूर संघ के भुखन सिंह ने कहा की मनरेगा मजदूरों के लिए सबसे महत्वपूर्ण कानून है. जिस तरह से मजदूरों ने मनरेगा कानून को लड़ कर लिया हैं, आज उसे बचाने के लिए संघर्ष करने की जरूरत है. संघ की महिला नेत्री सुखमनी देवी ने कहा की मनरेगा में चल रहे सभी योजनाओं में मेठ को कार्य आदेश जिला प्रशासन दिलवाना सुनिश्चित करें. साथ ही हर सप्ताह के सोमवार और गुरुवार को रोजगार दिवस पंचायत भवन में करवाना जिला प्रशासन अनिवार्य करें, ताकि मजदूरों को नरेगा संबंधित कामों के लिए प्रखंड कार्यालय का चक्कर नही लगाना पड़े. नेशनल कैंपेन दलित ह्यूमेन राइट के राज्य संयोजक मिथिलेश कुमार ने कहा की एकल महिला, एकल पुरुष, दिब्यांग परिवारों के प्रति वयस्क साल में 300 दिन की रोजगार की गारंटी की जाये. मनरेगा मजदूरों को केंद्र एवं राज्य सरकारों के स्तर से चलायी जा रही योजनाओं से जोड़े जाने की गारंटी की जाये.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है