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पाकिस्तान में सेना क्यों भेजना चाहता है चीन? 

China Want To Send Army To Pakistan: चीन की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंता के बीच, चीन ने पाकिस्तान पर दबाव डालते हुए अपनी सेना को तैनात करने की मांग की है.

China Want To Send Army To Pakistan: चीन और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में हाल के दिनों में कई महत्वपूर्ण चुनौतियां सामने आई हैं, खासकर सुरक्षा के संदर्भ में. विशेष रूप से चीन ने पाकिस्तान में 65 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है, लेकिन इसके बावजूद चीनी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं. इन समस्याओं में सबसे महत्वपूर्ण वह हमले हैं जो बलूचिस्तान में चीनी नागरिकों पर किए जा रहे हैं, जिनसे चीन की चिंता और बढ़ गई है.

बलूच विद्रोहियों द्वारा किए गए हमले खासकर ग्वादर जैसे रणनीतिक स्थानों पर चीन के आर्थिक और सैन्य हितों को बाधित कर रहे हैं. चीन ग्वादर में एक नेवल बेस स्थापित करने की योजना बना रहा है, जो उसकी समुद्री शक्ति और व्यापारिक रास्तों के लिए महत्वपूर्ण है. इन हमलों से चीन को भारी नुकसान हो रहा है, और उसने पाकिस्तान को सुरक्षा बढ़ाने की बार-बार चेतावनी दी है. इसके बावजूद पाकिस्तान की सेना, जो जनरल मुनीर के नेतृत्व में काम कर रही है, इन हमलों को रोकने में नाकाम रही है.

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चीन की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंता के बीच, चीन ने पाकिस्तान पर दबाव डालते हुए अपनी सेना को तैनात करने की मांग की है. चीन ने पाकिस्तान से यह अनुरोध किया है कि उसे पाकिस्तान में सीधे हस्तक्षेप करने की अनुमति दी जाए, ताकि चीनी नागरिकों और निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. हालांकि, पाकिस्तान ने अब तक इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है. बावजूद इसके, चीन के अंदर यह मांग तेज़ हो गई है कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को तैनात किया जाए ताकि वहां के आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.

इस मुद्दे पर चीन के थिंक टैंक, “सिक्योरिटी स्टडीज सेंटर” के शोधकर्ता फेंग झिझोंग का कहना है कि चीन और पाकिस्तान को मिलकर खुफिया जानकारी साझा करनी चाहिए और सुरक्षा उपायों को और प्रभावी बनाना चाहिए. इसके अलावा, उन्होंने सुझाव दिया कि पाकिस्तान को चीनी प्राइवेट सुरक्षा कंपनियों को काम करने की अनुमति देनी चाहिए, ताकि चीनी नागरिकों की सुरक्षा बेहतर तरीके से सुनिश्चित की जा सके.

अगर पाकिस्तान की सेना PLA को अनुमति नहीं देती, तो चीन ने अपनी सेना को प्राइवेट सुरक्षा कंपनियों के माध्यम से भेजने का विकल्प भी तलाशा है. यह कदम चीन की महत्वाकांक्षी “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव” (BRI) परियोजना के अंतर्गत उठाया जा सकता है, जिसके तहत चाइना-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (CPEC) का निर्माण हो रहा है. यह कॉरिडोर चीन को मलक्का स्ट्रेट से बचकर सीधे अरब सागर तक पहुंचने का मार्ग प्रदान करेगा, जिससे उसे भारत और अमेरिका द्वारा समुद्री मार्ग पर किसी प्रकार की रोकथाम से बचने में मदद मिलेगी.

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हालांकि, बलूच विद्रोही चीन की इस परियोजना के प्रमुख विरोधी हैं. उनका आरोप है कि चीन बलूचिस्तान की प्राकृतिक संपदा का शोषण कर रहा है और स्थानीय लोगों के हितों की अनदेखी कर रहा है. विद्रोही समूहों ने CPEC से जुड़ी परियोजनाओं और चीनी नागरिकों पर कई बार हमले किए हैं. इन हमलों ने चीन को यह एहसास दिलाया है कि अब उसे आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए और अपनी सुरक्षा बढ़ानी चाहिए.

फेंग झिझोंग का यह भी कहना है कि बलूच विद्रोहियों को भारत और अमेरिका का समर्थन हो सकता है. उनका मानना है कि दोनों देश जानबूझकर बलूचिस्तान में अस्थिरता पैदा कर रहे हैं ताकि चीन की परियोजनाओं को विफल किया जा सके. इसलिए, चीन पाकिस्तान पर दबाव डाल रहा है कि वह उसे सीधे हस्तक्षेप करने की अनुमति दे, ताकि उसके नागरिकों और निवेश की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. इस प्रकार, चीन और पाकिस्तान के बीच सुरक्षा और रणनीतिक रिश्तों में यह नई चुनौतियां सामने आई हैं, जो आने वाले समय में दोनों देशों के संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं.

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