Donald Trump Speech: डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद व्हाइट हाउस के स्टेनोग्राफरों को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. न्यूज एजेंसी AP रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप अपने लंबे भाषणों और लगातार बयानों के कारण ट्रांसक्रिप्शन स्टाफ को कठिनाई में डाल रहे हैं. उनके शब्दों की संख्या इतनी अधिक है कि व्हाइट हाउस अब अतिरिक्त स्टेनोग्राफर नियुक्त करने पर विचार कर रहा है.
बाइडेन बनाम ट्रंप: कौन कितना बोला?
नीचे दिए गए आंकड़े ट्रंप और बाइडेन के भाषणों की तुलना
राष्ट्रपति | कार्यकाल का पहला सप्ताह | बोले गए शब्द | कुल समय (घंटे:मिनट) |
जो बाइडेन (2021) | 7 दिन | 24,259 शब्द | 2 घंटे 36 मिनट |
डोनाल्ड ट्रंप (2017) | 7 दिन | 33,571 शब्द | 3 घंटे 41 मिनट |
डोनाल्ड ट्रंप (2025) | 7 दिन | 81,235 शब्द | 7 घंटे 44 मिनट |
पहले कार्यकाल की तुलना में अधिक बयानबाजी
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल (2017) के पहले सप्ताह में 33,571 शब्द बोले थे, लेकिन इस बार यह संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है. उन्होंने अपने शपथ ग्रहण भाषण में ही 22,000 से अधिक शब्द कहे थे. इसके बाद, जब उन्होंने कैलिफोर्निया के जंगलों में लगी आग के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, तो वहां भी 17,000 से अधिक शब्द बोले.
लगातार बयानबाजी से राजनीतिक माहौल पर असर
ट्रंप की लगातार बयानबाजी ने न केवल स्टेनोग्राफरों बल्कि उनके राजनीतिक विरोधियों को भी परेशान कर दिया है. विश्लेषकों के मुताबिक, ट्रंप की रणनीति उनके समर्थकों से लगातार जुड़े रहने की है. वे भाषणों और बयानों के माध्यम से सुर्खियों में बने रहना चाहते हैं.
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के अधिक बोलने से उनके विरोधियों को प्रतिक्रिया देने में कठिनाई होती है. वे किसी एक मुद्दे पर ज्यादा देर तक ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अत्यधिक बयानबाजी से ट्रंप की लोकप्रियता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, क्योंकि जनता उनके बयानों से ऊब सकती है.
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