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Delhi Election 2025: आप , कांग्रेस और ओवैसी को लेकर है असमंजस की स्थिति

पिछले दो विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में एकतरफा मतदान किया है. लेकिन इस बार कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के मजबूती से चुनाव लड़ने के कारण मुस्लिम मतदाताओं में आम आदमी को लेकर असमंजस की स्थिति बन गयी है.

Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर मतदान बुधवार को होगा. इससे पहले सभी दल के उम्मीदवार हर मतदाता को साधने के लिए जी-जान से जुट गए हैं. दो विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के पक्ष में माहौल दिख रहा था, लेकिन इस बार किसी दल को लेकर मतदाताओं में उत्साह नहीं दिख रहा है. ऐसे में चुनाव परिणाम का आकलन करना भी मुश्किल हो गया है. सबसे बड़ी उलझन मुस्लिम मतदाताओं में देखने को मिल रही है. पिछले दो विधानसभा चुनाव में मुस्लिमों ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में एकतरफा मतदान किया है. लेकिन इस बार कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के मजबूती से चुनाव लड़ने के कारण मुस्लिम मतदाताओं में आम आदमी को लेकर असमंजस की स्थिति बन गयी है.

भले ही ओवैसी की पार्टी सिर्फ दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दिल्ली में हुए दंगों में केजरीवाल की चुप्पी को लेकर मुखर है. इस मुद्दे पर कांग्रेस भी लगातार आम आदमी पार्टी को घेर रही है. ऐसे में मुस्लिम बहुल सीटों पर आम आदमी पार्टी को पहले की तरह एकतरफा लाभ मिलने की संभावना कम दिख रही है. आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल को भी इसका अंदाजा था, इसलिए इस बार केजरीवाल ने मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार से दूरी बनाए रखी. लेकिन उन्होंने समाजवादी पार्टी का सहयोग लेकर इस नाराजगी को दूर करने की कोशिश की है. सपा के कई मुस्लिम सांसद मुस्लिम बहुल इलाकों में आम आदमी पार्टी के लिए प्रचार करते देखे गए. 


जीत के लिए भाजपा का डर दिखा रही है आप

आम आदमी पार्टी मुस्लिम बहुल सीटों पर यह प्रचारित करती रही कि कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी को वोट देने से भाजपा चुनाव जीत सकती है. वहीं आम आदमी पार्टी के इस दावों के खिलाफ ओवैसी लगातार कहते रहे  कि वे दिल्ली की कुल 70 सीटों में से सिर्फ दो सीट पर चुनाव लड़ रही है और पिछले कई चुनावों से मुस्लिम उम्मीदवार ही चुनाव जीत रहे हैं. आम आदमी पार्टी चुनाव जीतने के लिए सिर्फ मुसलमानों का वोट हासिल करने की कोशिश करती है. समाज के भलाई के लिए पार्टी की ओर से कुछ नहीं किया गया है. दिल्ली दंगों के दौरान केजरीवाल प्रभावित इलाकों का दौरा तक करने नहीं गए. वहीं कांग्रेस को भी इस बार मुस्लिम और दलितों का परंपरागत वोट हासिल होने की उम्मीद है. पार्टी ने इस बार के चुनाव में ऐसी सीटों को विशेष प्राथमिकता दी है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पहली रैली मुस्लिम बहुल सीलमपुर में हुई. 

दिल्ली में 13 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं, जिसमें 12 सीटों पर 30 से 50 फीसदी के आसपास है. दिल्ली की सीलमपुर, मुस्तफाबाद, मटिया महल, बल्लीमारान और ओखला सीट पर भाजपा के अलावा सभी दल की ओर से मुस्लिम उम्मीदवार हैं. ऐसे में अगर मुस्लिम मतदाताओं के मन में यह संदेह है कि अगर वोटों का बंटवारा हुआ तो भाजपा को फायदा हो सकता है. देखने वाली बात होगी कि मतदान के दिन मुस्लिम मतदाता किस दल के पक्ष में मतदान करते हैं.  

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