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राज्य के तीन मेडिकल कॉलेज एंटी रैगिंग नियमों का नहीं कर रहे पालन, यूजीसी ने कारण बताओ नोटिस किया जारी

यूजीसी के सचिव मनीष जोशी ने कहा है कि तीनों संस्थानों ने रैगिंग उन्मूलन के लिए बनाये गये एंटी-रैगिंग विनियम, 2009 के अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है.

-सात दिनों के अंदर देना होगा जवाब

– गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज बेतिया में रैगिंग का भी मामला यूजीसी में दर्ज

अनुराग प्रधान, पटना

यूजीसी ने एंटी रैगिंग नियमों का पालन नहीं करने पर राज्य के तीन मेडिकल कॉलेजों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इसमें गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज बेतिया में रैगिंग का मामला भी दर्ज किया गया है. रैगिंग की शिकायत यूजीसी को मिली है. यूजीसी को की गयी शिकायत में स्टूडेंट्स ने कहा कि यहां जूनियर को सुनने वाला कोई नहीं है. कोई एंटी रैगिंग सेल भी काम नहीं कर रहा है. शिकायत करने पर शिक्षक भी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं. एंटी रैगिंग को लेकर कैंपस में कोई सतर्कता व जागरूकता की व्यवस्था नहीं है. इस मामले को लेकर यूजीसी गंभीर हुआ और गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज बेतिया के साथ-साथ मधुबनी मेडिकल कॉलेज और कटिहार मेडिकल कॉलेज से भी जवाब प्रभात खास : तलब किया है. यूजीसी ने सभी मेडिकल कॉलेजों से सात दिन के भीतर जवाब मांगा है.

तीनों कॉलेजों ने शपथपत्र भी नहीं किया जमा

यूजीसी के सचिव मनीष जोशी ने कहा है कि तीनों संस्थानों ने रैगिंग उन्मूलन के लिए बनाये गये एंटी-रैगिंग विनियम, 2009 के अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है. संस्था के छात्रों से आवश्यक एंटी-रैगिंग शपथ पत्र प्राप्त नहीं हुआ है, जो नियम के खिलाफ है. शपथपत्र सभी को जमा करना अनिवार्य है. लेकिन 2024 में हुए एडमिशन के बाद मधुबनी मेडिकल कॉलेज में 150 सीटों में से कोई शपथ पत्र जमा नहीं किया गया. कटिहार मेडिकल कॉलेज में 150 सीटों में से नौ शपथ पत्र जमा किये गये. वहीं, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज बेतिया में 120 सीटों में नौ शपथपत्र जमा किये गये हैं, जो नियम के खिलाफ है. मनीष जोशी ने बताया कि एंटी-रैगिंग विनियम, 2009 के अनुसार, प्रत्येक छात्र और उनके माता-पिता, अभिभावकों को प्रवेश के समय और प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में एंटी-रैगिंग शपथपत्र प्रस्तुत करना आवश्यक है. यह शपथपत्र रैगिंग की घटनाओं को रोकने और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है. तीनों संस्था द्वारा इस अनिवार्यता की अवहेलना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि यह छात्रों की सुरक्षा को भी खतरे में डालता है. इस संबंध में निर्देशित किया गया है कि सात दिनों के भीतर इस लापरवाही के लिए उचित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें. साथ में यह बताना होगा कि इसे सुधारने के लिए तीनों संस्थान ने कौन-कौन से तात्कालिक कदम उठाया या उठा रहे हैं. निर्धारित समय के भीतर संतोषजनक उत्तर प्राप्त न होने की स्थिति में एंटी-रैगिंग विनियम, 2009 के प्रावधानों के तहत तीनों कॉलेजों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जायेगी. इस विषय को अधिक प्राथमिकता देने और भविष्य में एंटी-रैगिंग नियमों का पूर्ण रूप से पालन सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया दया है.

देश भर के 18 मेडिकल कॉलेजों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है:

यूजीसी के सचिव मनीष जोशी ने बताया कि बिहार के साथ-साथ देश भर के 18 मेडिकल कॉलेजों को भी नोटिस जारी किया गया है. सभी को सात दिनों के अंदर जवाब देना होगा. उन्होंने कहा कि आइआइटी, एनआइटी, आइआइएम, मेडिकल, इंजीनियरिंग, विश्वविद्यालय समेत सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को एंटी रैगिंग नियम 2009 को लागू करना अनिवार्य है. लेकिन 18 मेडिकल कॉलेजों में एंटी रैगिंग नियमों का पालन नहीं हो रहा है. जिन मेडिकल कॉलेजों को कारण बताओ नोटिस जारी किये गये हैं, उन्हें तय समय सीमा में जवाब देना होगा. ऐसा नहीं करने पर एंटी रैगिंग नियमों के तहत संबंधित मेडिकल कॉलेज या उच्च शिक्षण संस्थानों पर कार्रवाई होगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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