Delhi Election 2025: दिल्ली चुनाव को लेकर इस वक्त वोटिंग चल रही है. सभी की निगाहें इस बार के चुनावी नतीजों पर टिकी रहेगी. दिल्ली में मतदाओं का रुख बाकी जगहों से थोड़ा हट कर रहा है. यहां वोटर्स लोकसभा चुनाव में एक तरफ तो वहीं विधानसभा चुनाव में दूसरी पार्टी की ओर रुख रखते हैं. इस बार भी दिल्ली के सत्ता की चाभी इन्ही स्विंग वोटर्स के हाथों में रहने वाली है.
लगभग 20% हैं स्विंग वोटर्स
दिल्ली चुनाव के सियासी गणित को समझें तो साफ दिखेगा की दिल्ली की सत्ता उसी के पास जाती है जो इन 20% स्विंग वोटर्स को अपने पाले में डालता है. पिछले कुछ सालों में दिल्ली में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के परिणामों ने एक दिलचस्प सियासी पैटर्न को उजागर किया है, जिसमें स्विंग वोटरों की अहम भूमिका रही है.
विधानसभा और लोकसभा में अलग-अलग पार्टियों को वोट देते हैं लोग
दिल्ली का मतदान पैटर्न लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अलग-अलग नजर आता है. लोकसभा चुनावों में बीजेपी के पक्ष में वोट डालने वाली जनता विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को अपना समर्थन देती है. इसी को सियासी भाषा में “स्विंग वोटर” कहा जाता है, जो चुनावों के नतीजों को तय करने की ताकत रखते हैं. स्विंग वोटर्स की संख्या दिल्ली में 20 से 25 फीसदी के बीच बताई जाती है, और ये वोटर लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अलग-अलग तरीके से मतदान करते हैं. अगर उदाहरण के लिए देखें तो 2014 में दिल्ली के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी सात सीटें जीत ली थीं, लेकिन 2015 में विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिला. 2019 में फिर से लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत हुई, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की वापसी हुई, और बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ.
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