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Giridih News: रोक के आदेश के बाद भी खदान में धड़ल्ले से किया जा रहा है पत्थर का अवैध उत्खनन

Giridih News: गिरिडीह प्रखंड के तेलोडीह में स्थित एक खदान में विभागीय रोक के आदेश के बाद भी पत्थर का अवैध उत्खनन धड़ल्ले से किया जा रहा है और संबंधित विभाग के लोग सब कुछ जानते हुए भी चुप्पी साधे हुए हैं. बता दें कि राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण (सिया) ने तेलोडीह के गादी टोला में स्थित ओमप्रकाश वर्णवाल के खदान का पट्टा रद्द करने की कार्रवाई शुरू कर दी है.

इस मामले में सिया के सदस्य सचिव ने छह नवंबर, 2024 को एक आदेश जारी कर कहा है कि संबंधित खदान संचालक ने जारी स्पष्टीकरण का जवाब अब तक नहीं दिया है. निर्धारित समय सीमा के अंदर स्पष्टीकरण नहीं देने की स्थिति में पर्यावरणीय स्वीकृति तत्काल प्रभाव से वापस ले ली जायेगी और खनन पट्टा को रद्द कर दिया जायेगा. तब तक के लिए सिया ने खनन कार्य पर स्थगन आदेश जारी कर दिया है.

वन विभाग ने की है पट्टा रद्द करने की अनुशंसा

मिली जानकारी के अनुसार सिया ने यह कार्रवाई वन विभाग की अनुशंसा के आलोक में की है. बता दें कि शिकायत मिलने के बाद बोकारो के क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक ने गिरिडीह वन प्रमंडल पदाधिकारी को स्थलीय जांच कराने का निर्देश दिया था.

इस निर्देश के आलोक में जांच करने पर पाया गया कि गलत तरीके से खदान का पट्टा जारी कर दिया गया है. अधिसूचित वन भूमि से खदान की दूरी शून्य मीटर बतायी गयी है. जबकि नये खनन परियोजना के पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए किसी भी खनन क्षेत्र की दूरी वन भूमि से न्यूनतम 250 मीटर निर्धारित की गयी है.

प्रावधान का उल्लंघन को देखते हुए गिरिडीह के वन प्रमंडल पदाधिकारी ने खनन स्थल के लिए निर्गत पर्यावरणीय स्वीकृति को निरस्त करने की अनुशंसा की थी.

वन भूमि क्षेत्र में खनन हुआ तो होगी कार्रवाई : डीएफओ

इधर, वन प्रमंडल पदाधिकारी मनीष तिवारी ने बताया कि खनन क्षेत्र अधिसूचित वन भूमि से शून्य मीटर की दूरी पर स्थित है. खनन का कार्य अधिसूचित वन भूमि में नहीं किया जा रहा है. ऐसे में खनन पर रोक लगाने का अधिकार दूसरे विभाग को है. बताया कि यदि अधिसूचित वन क्षेत्र में या जंगल-झाड़ क्षेत्र में भी पत्थर का उत्खनन किया जा रहा है तो मामले की जांच करायी जायेगी और विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी.

जांच कर खदान संचालक पर कार्रवाई की जायेगी : डीएमओ

जिला खनन पदाधिकारी सत्यजीत कुमार ने कहा कि खदान संचालक को सिया के आदेश के आलोक में खनन कार्य बंद करने का आदेश पूर्व में ही दिया जा चुका है. इसके बाद भी पत्थर का खनन किया जा रहा है तो यह अवैध है. उन्होंने कहा कि शीघ्र ही जांच कर संबंधित खदान संचालक के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी.

रात-दिन खनन कर निकाला जा रहा है पत्थर

गौरतलब बात तो यह है कि राज्य स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण, झारखंड((सिया)) ने छह नवंबर को ही खनन स्थगन आदेश जारी कर दिया है, लेकिन खदान संचालक पर इस आदेश का कोई असर नहीं दिख रहा है. खनन की प्रक्रिया और तेज कर दी गयी है.

रात-दिन पत्थर निकाला जा रहा है और धड़ल्ले से पत्थरों को हाइवा से अन्यत्र भेजा जा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार पत्थर का खनन पट्टा 2015 में ही गलत जानकारी के आधार पर ली गयी है. 11.90 एकड़ जमीन के लिए जारी किये गये खनन पट्टा में अधिसूचित वन भूमि की दूरी के मामले में गलत तथ्य प्रस्तुत किये गये हैं.

वहीं बताया जा रहा है कि खनन क्षेत्र से मात्र सौ मीटर की दूरी पर स्कूल, बाल विकास परियोजना केंद्र के साथ-साथ आसपास के इलाके में गांव भी बसे हुए हैं. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि विस्फोट के वक्त डर का माहौल बना रहता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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