बिहार: पटना में कांग्रेस नेताओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने एक बार फिर से बिहार में हुए ‘जाति जनगणना पर सवाल उठाया है. उन्होंने दावा किया है कि हमें बिहार की तरह नहीं, तेलंगाना की तरह जाति जनगणना जरूरी है. जाति जनगणना हमें बता देगी कि दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, गरीब, सामान्य वर्ग कौन और कितने हैं? आज देश में सत्ता संरचना में दलितों और पिछड़ों की भागीदारी नहीं है. दलितों को प्रतिनिधित्व दिया गया, लेकिन सत्ता संरचना में भागीदारी नहीं होने के कारण इसका कोई मतलब नहीं है.
सरकार में आते ही कराएंगे गिनती: राहुल गांधी
बीजेपी पर तंज करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि वो दलितों को टिकट दे देते हैं, लेकिन अधिकार नहीं देते. देश में जाति जनगणना कराने की मांग करते हुए बिहार की जाति जनगणना पर सवाल भी उठाए. उन्होंने कहा कि बिहार की तरह नहीं, तेलंगाना की तरह जाति जनगणना जरूरी है. जाति जनगणना हमें बता देगी कि दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, गरीब, सामान्य वर्ग कौन और कितने हैं? इसके बाद हम न्यायपालिका, मीडिया, संस्थानों और ब्यूरोक्रेसी में इनकी कितनी भागीदारी है, इसकी सूची निकालेंगे और असलियत पता करेंगे. कांग्रेस पार्टी दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को उनकी भागीदारी दिलवाना चाहती है.
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200 बड़ी कंपनियों में एक भी दलित-ओबीसी, आदिवासी नहीं
राहुल गांधी ने कहा कि 200 बड़ी कंपनियों में एक भी दलित-ओबीसी, आदिवासी नहीं हैं. 90 लोग हिंदुस्तान का बजट निर्धारण करते हैं, इन लोगों में सिर्फ तीन दलित हैं. जो तीन अधिकारी दलित हैं, उनको छोटे-छोटे विभाग दे रखे हैं. अगर सरकार 100 रुपये खर्च करती है तो उसमें एक रुपये का निर्णय ही दलित अफसर लेते हैं. इसी तरह 50 फीसदी आबादी पिछड़े वर्ग की है, उनके भी मात्र तीन अधिकारी हैं. दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग की भागीदारी 100 रुपये में सिर्फ छह रुपये के बराबर है.