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Rourkela News: वामपथीं संगठनों ने किया प्रदर्शन, केंद्रीय बजट को किसानों, श्रमिकों व गरीबों की आजीविका पर हमला बताया

Rourkela News: वामपंथी संगठनों ने केंद्रीय बजट को किसानों, श्रमिकों और गरीबों की आजीविका पर हमला बताते हुए इसकी प्रति जलायी.

Rourkela News: केंद्र सरकार के द्वारा वर्ष (2025-26) के बजट को किसानों, श्रमिकों और गरीबों की आजीविका पर हमला और कॉरपोरेट जगत को लूट की छूट का आरोप लगाते हुए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों सीटू, एटक, एआइयूटीयूसी और संयुक्त किसान मोर्चा राउरकेला ने बुधवार को उदितनगर के आंबेडकर चौक पर प्रदर्शन किया. साथ ही केंद्रीय बजट की प्रति जलाकर अपनी नाराजगी का इजहार किया. बजट के खिलाफ आंदोलन को तेज करने का आह्वान किया.

कृषि व संबद्ध गतिविधियों के लिए बजट में भारी कटौती

प्रदर्शन में नेताओं ने कहा कि यद्यपि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों का योगदान 16 प्रतिशत हो गया है, लेकिन कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए इस वर्ष का बजट आवंटन 2024-25 के संशोधित अनुमानों से कम है. 2024-25 के लिए कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के लिए संशोधित अनुमान 376720.41 करोड़ रुपये था, जबकि 2025-26 के लिए आवंटन केवल 371687.35 करोड़ रुपये है. यदि मुद्रास्फीति को ध्यान में रखा जाए, तो कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के लिए बजट में भारी कटौती की गयी है. इस पर वास्तविक व्यय 2020-21 से लगातार घट रहा है.

किसानों को प्राथमिकता नहीं दे रही एनडीए सरकार

बजट आवंटन में कृषि पर साल दर साल लगातार गिरावट यह दर्शाती है कि एनडीए सरकार की प्राथमिकता किसानों को नहीं दी जा रही है. बजट में एमएसपी की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने, फसल खरीद में खरीद का विस्तार करने या किसानों को कर्ज के बोझ से राहत देने के लिए कोई प्रावधान नहीं है. रोजगार में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी साल दर साल बढ़ रही है, जो 2017-18 में देश के कुल रोजगार का 44.1 प्रतिशत थी, जो 2023-24 में 46.1 प्रतिशत हो जायेगी. नतीजतन, शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की कमी के कारण लोग शहरी क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की ओर जा रहे हैं. बहुत ही असंवेदनशील तरीके से मनरेगा के लिए बजट आवंटन मात्र 86,000 करोड़ रुपये रखा गया है.

ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार पर जोर नहीं

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर कोई जोर नहीं दिया जा रहा है. यह एनडीए सरकार की ग्रामीण विकास और ग्रामीण गरीबों के प्रति उदासीनता का प्रतिबिंब है. इस वर्ष खाद्य सब्सिडी के लिए आवंटन 2024-25 के बजट में आवंटित राशि से कम है. पिछले बजट में कल्याणकारी योजनाओं के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को दालों के वितरण के लिए 300 करोड़ रुपए आवंटित किए गये थे, लेकिन वर्तमान बजट में उस क्षेत्र में आवंटन शून्य है.

चुनावी लाभ लेने के लिए सालाना आय पर आयकर छूट

12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर आयकर छूट को चुनावी लाभ हासिल करने के लिए शुरू किया गया है. इस कर छूट के माध्यम से जो भी लाभ मिलने की उम्मीद है, वह बढ़ती कीमतों, अप्रत्यक्ष करों की उच्च दरों और भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा और यात्रा आदि पर बढ़ते खर्च से बाधित होगा. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए आवंटन 15,864 करोड़ रुपये से घटाकर 12,242.27 करोड़ रुपये कर दिया गया है. वर्ष 2019 में योजना शुरू होने के बाद से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए आवंटन में कोई वृद्धि नहीं की गयी है और मुद्रास्फीति के लिए कोई समायोजन नहीं किया गया है. उर्वरक सब्सिडी 171,298.50 करोड़ रुपये से 3,411.30 करोड़ रुपये घटाकर 167,887.20 करोड़ रुपये कर दी गयी है. दलहनों के लिए आत्मनिर्भर भारत मिशन के छह साल के अभियान का असली चेहरा आज सामने आ गया है, जब इस मिशन के लिए कुल बजट आवंटन केवल 1000 करोड़ रुपये है.

कॉरपोरेट्स को लाभ दिलाने के लिए प्रगति कार्यक्रम को गति

प्रधानमंत्री कार्यालय कॉरपोरेट्स के लाभ के लिए देश के जल, जमीन और जंगलों को लूटने के लिए प्रो-एक्टिव गवर्नेंस फॉर टाइमली इम्प्लीमेंटेशन (प्रगति) नामक कार्यक्रम को गति दे रहा है. परिणामस्वरूप वन अधिकार अधिनियम-2006, पेसा अधिनियम-1996 से संबंधित ग्राम सभाओं के अधिकार समाप्त हो जाएंगे. हाल ही में प्रधानमंत्री ने स्वयं ओडिशा में शिल्पपति मेला और ‘उत्कर्ष ओडिशा’ कार्यक्रम का आयोजन किया था. कार्यक्रम में सीआइटीयू के राज्य महासचिव व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विष्णु मोहंती, जिला महासचिव विमान माईती, जहांगीर अल्ली, बसंत नायक, श्रीमंत बेहरा, शकुंतला महाकुड़, राज किशोर प्रधान, बीपी महापात्रा, ययाति केशरी साहू, अक्षय महांत, अजीत एक्का, अजय शर्मा, लक्ष्मीधर नायक, विश्वजीत माझी, रत्नाकर नायक, एनएन पाणिग्रही, संबित स्वाईं, चंद्रभानु दास, पीके सेठी, दिवाकर महाराणा, बाछिराम बेहरा, सागर छोटराय, बासुदेव साहू, एनके राउतराय, एआइकेएस के राज्य संयुक्त सचिव सुरेंद्र दाश, बुधनी मुंडारी, शांति मिंज, एटक के महासचिव प्रदोष मोहंती, दसरू किसान, पीसी पटनायक, अपर्णा राउतराय, महेश्वर दीप, अरुण भोई, एआइयूटीयूसी जिला महासचिव अजीत नायक, सत्यप्रिय मोहंती समेत अन्य लोग शामिल थे.

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