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जिले के निबंधित 400 मछुआरों को मिलेगा सहायता भत्ता

बिहार सरकार ने मछली पालन और नदी में मछलियों का शिकार करने वाले मछुआरों को आर्थिक मदद करने के लिए राहत-सह-बचत योजना के तहत मछुआरों को प्रतिबंधित महीनेे में आर्थिक अनुदान दे रही है.

अरवल.

बिहार सरकार ने मछली पालन और नदी में मछलियों का शिकार करने वाले मछुआरों को आर्थिक मदद करने के लिए राहत-सह-बचत योजना के तहत मछुआरों को प्रतिबंधित महीनेे में आर्थिक अनुदान दे रही है. जून से लेकर अगस्त महीने के बीच 1500 रुपये किस्त के हिसाब से 4500 रुपए तक आर्थिक अनुदान दिया जायेगा. माॅनसून के दिनों में तेज बारिश, बाढ़ आने से फसल, पशुओं, मछलियों सहित ग्रामीण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. फसलों सहित अन्य क्षेत्रों में अधिक नुकसान होने पर सरकार आर्थिक मदद करती है. वहीं मछली पालन और नदी में मछलियों का शिकार करने वाले मछुआरों को खुद ही नुकसान की भरपाई करनी पड़ती थी. लेकिन, अब केंद्र एवं राज्य सरकार नदी में मछलियों का शिकार करने वाले मछुआरों को प्रतिबंधित महीने में 1500-1500 रुपए किस्त के हिसाब से सालाना 4500 रुपए की मदद कर रही है. मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न तरह की योजना चला रही है. जिले में इन योजनाओं के तहत इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया गया है. जिला स्तर पर मत्स्य पालन व रोजगार से जुड़े लोगों का आकलन करते मत्स्यपालकों की आर्थिक स्थिति में सुधार आयेगा.

जून से लेकर अगस्त तक मौसम की अनिश्चितताओं के चलते मछली पालक किसान व मछुआरों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वहीं लू, तेज बारिश व बाढ़ के कारण मछली पालक व मछुआरों की आजीविका काफी प्रभावित होती हैं. इन्हीं महीनों में नदियां उफान पर भी होती है. जिसके चलते मछुआरे मछली नहीं पकड़ने जाते हैं. इसलिए सरकार राहत-सह-बचत योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए आवेदन मांगी गयी है.

पोर्टल पर करा सकेंगे निबंधन : प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह योजना की शुरुआत होने से मत्स्य पालन के क्षेत्र में उत्पादन व प्रसंस्करण के लिए क्लस्टर की स्थापना की जानी है. इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा एक पोर्टल एनएफडीपी (नेशनल फिशरीज डिजिटल प्लेटफॉर्म) तैयार किया गया है. इस पर लोग अपना निबंधन करा सकते हैं. इस योजना का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर मत्स्यपालन के क्षेत्र में लगे मछुआरों, मत्स्य कृषक, मत्स्य विक्रेता, मत्स्य प्रसंस्करणकर्ता एवं अन्य हितधारकों की पहचान कर राष्ट्रीय मत्स्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण कराना है.

व्यवसाय से जुड़े करीब 400 लोग : जिले में मत्स्य पालन व रोजगार से जुड़े करीब 400 लोग हैं. यह संख्या अनुमानित है. वास्तविक संख्या निबंधन के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा. अब मत्स्य विभाग की जो भी योजना है, उसका लाभ सिर्फ रजिस्टर्ड लोगों को ही मिलेगा.

क्या कहते हैं अधिकारीरजिस्ट्रेशन कराने का मुख्य उद्देश्य मछलीपालन से जुड़े लोगों के लिए रोजगार सृजन करना है. इस योजना के तहत मत्स्य पालन व व्यवसाय से जुड़े लोगों को आर्थिक रूप से सबल बनाना, एक फसल चक्र के लिए प्रोत्साहन राशि प्रदान करना, बाजार उपलब्ध कराना जैसे प्रयास किये जायेंगे. अब मत्स्य विभाग की जो भी योजना है, उसका लाभ सिर्फ रजिस्टर्ड लोगों को ही मिलेगा, इसलिए जितना जल्द हो सके, मछली पालन व इस व्यवसाय से जुड़े सभी लोग निबंधन करा लें. इसमें समिति से जुड़े मत्स्य पालकों के अलावा इस व्यवसाय से जुड़े लोग जैसे मछली बिक्री करने वाले, जाल बुनने वाले, निजी तालाब में मछली पालन करने वाले व अन्य समूह के लोग भी अपना निबंधन करा सकते हैं.

सुनील कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी, अरवल

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