Table of Contents
Delhi election results : दिल्ली विधानसभा चुनाव का एक्जिट पोल जबसे सामने आया है, सत्तासीन आम आदमी पार्टी की बेचैनी बढ़ी हुई है. एक्जिट पोल के नतीजे यह संकेत दे रहे हैं कि इस बार आम आदमी पार्टी को बड़ा नुकसान हो सकता है. संभव है कि आप एक बार फिर सरकार बना ले, लेकिन उसके लिए बहुमत जुटाना बहुत टेढ़ी खीर साबित होने जा रहा है.
त्रिशंकु विधानसभा के आसार
2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा के आसार नजर आ रहे हैं. एक्जिट पोल के नतीजे यह संकेत दे रहे हैं कि दिल्ली में इस बार किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलेगा. आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों को ही सरकार बनाने के लिए सहयोग की जरूरत होगी. अगर यह स्थिति बनती है, तो कांग्रेस की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाएगी और लोगों को 2013 का चुनाव भी याद आ जाएगा, जब बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में 31 सीट जीतकर भी सरकार नहीं बना पाई थी और आम आदमी पार्टी कांग्रेस की मदद से सरकार बनाई थी.
दलित वोटर कर सकते हैं खेला
पिछले तीन चुनाव में दलित वोट आम आदमी पार्टी के साथ रहे, जिसकी वजह से उनकी सरकार भी बनी. लेकिन इस बार दलित वोट बंटने की पूरी संभावना जताई जा रही है. दलितों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि उनके युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है. इसकी वजह से दलित वोटर्स का बिखराव होगा. ऐसा नहीं है कि दलितों ने आप का पूरा साथ छोड़ दिया है, लेकिन दलितों का वोट बंटने से आम आदमी पार्टी को नुकसान होगा.
कांग्रेस ने इस बार दलितों और मुसलमानों पर लगाई है पूरी जोर
दिल्ली चुनाव में जब आप और कांग्रेस ने अलग–अलग चुनाव लड़ने का मन बनाया, तो कांग्रेस ने अपने कोर वोटर मुस्लिम और दलितों पर पूरा फोकस किया है. भले ही कांग्रेस सरकार बनाने की स्थिति तक ना पहुंचने, लेकिन वह बीजेपी और आप का खेल बिगाड़ने की स्थिति तक मेहनत कर चुकी है.
केजरीवाल के फ्रीबीज को बीजेपी की चुनौती
इस चुनाव में बीजेपी ने केजरीवाल की रेवड़ियों को मोदी की गारंटी से टक्कर दी है और इसमें वे काफी हद तक सफल भी होते नजर आ रहे हैं. महिलाओं के लिए मासिक सहायता राशि और युवाओं के लिए रोजगार की गारंटी देकर बीजेपी ने मतदाताओं को लुभाया है. आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा का भी असर चुनाव पर दिखेगा.
इसे भी पढ़ें : कौन हैं वो लोग जिन्हें सेना के विमान में कैदियों की तरह भरकर अमेरिका ने भारत वापस भेजा ?
पानीपत के 20,000 मुसलमानों की महात्मा गांधी ने बचाई जान, लेकिन उन्हें पाकिस्तान जाने से नहीं रोक सके
विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें