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डिजिटाइज जमाबंदियों को त्रुटिरहित करने के लिए 15 मार्च तक चलेगा विशेष अभियान

जमाबंदियों के डिजिटाइजेशन और डिजिटाइज जमाबंदियों को त्रुटि रहित करने के लिए 15 मार्च तक एक विशेष अभियान शुरू किया गया है.

– अपर समाहर्ता और समाहर्ता नियमित सीधी समीक्षा करेंगे और लापरवाही बरतने पर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे

संवाददाता, पटना

जमाबंदियों के डिजिटाइजेशन और डिजिटाइज जमाबंदियों को त्रुटि रहित करने के लिए 15 मार्च तक एक विशेष अभियान शुरू किया गया है. इस अभियान के तहत शिविर लगाकर मूल जमाबंदी के डिजिटाइजेशन या इसके आधार पर ऑनलाइन जमाबंदी को दुरूस्त किया जायेगा. इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने इस संबंध में सभी समाहर्ताओं को पत्र लिखा है. पत्र में स्पष्ट है कि पहले यदि परिमार्जन, परिमार्जन प्लस, दाखिल-खारिज या स्वतः संज्ञान होने पर अंचल अधिकारी के द्वारा ऑनलाइन जमाबंदी में सुधार किया जा चुका है तो मूल जमाबंदी से मिलान करते समय वैसी जमाबंदी में संशोधन नहीं होगा.

इन शिविरों का आयोजन समाहर्ता के निर्देश के अनुसार किया जायेगा. हल्का कर्मचारी को अपने हल्के के सभी मौजों में सुधार की जिम्मेदारी दी गयी है जो उनको उपलब्ध कराये गये लैपटॉप के जरिए किया जायेगा. शिविर की संख्या और शिविर का अंचल, हल्का या मौजा के साथ संबंद्धता का निर्णय जिला स्तर से किया जायेगा. इस कार्य की निगरानी राजस्व से जुड़े सभी वरीय पदाधिकारी करेंगे. जमाबंदी में सुधार की संपूर्ण जिम्मेदारी राजस्व कर्मचारी एवं अंचल अधिकारी की होगी. भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं द्वारा आवश्यक सहयोग और निरीक्षण किया जायेगा. अपर समाहर्ता और समाहर्ता नियमित सीधी समीक्षा करेंगे और लापरवाही बरतने पर नियमानुसार कार्रवाई करेंगे.

कैसे होगा त्रुटि का सुधार

राजस्व कर्मचारियों द्वारा हरेक मौजा की मूल जमाबंदी की स्कैन और ऑनलाइन प्रति से मिलान किया जायेगा. जहां जमाबंदी स्कैन नहीं हो सकी है वहां मूल प्रति से मिलान करने के बाद सभी भागों सहित हर पृष्ठ के अनुसार सुधार किया जायेगा. इसके तहत मूल जमाबंदी में दर्ज रैयत या भूमि संबंधी विवरण को हूबहू ऑनलाइन किया जाना है. किसी भी स्थिति में मूल जमाबंदी में अंकित आंकड़ों के अतिरिक्त कोई अन्य प्रविष्टि या सुधार या मूल जमाबंदी में किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं होगी. सभी मौजा की सभी जमाबंदी को डिजिटाइज या उसके आधार पर ऑनलाइन जमाबंदी में सुधार भी मौजा के अनुसार करना है. जमाबंदी में सुधार के लिए इ-जमाबंदी मॉड्यूल का इस्तेमाल किया जायेगा.

सबसे पहले वर्ष 2017 में सभी सदर अंचलों में ऑनलाइन जमाबंदी हुई थी शुरू

जमाबंदी के जरिए जमीन के लेन-देन (खरीद-बिक्री) का पता चलता है. वर्ष 2017 में सबसे पहले सभी सदर अंचलों में ऑनलाइन जमाबंदी शुरू की गयी थी जिसे अक्तूबर, 2018 में पूरे बिहार के सभी अंचलों में लागू कर दिया गया था. उस दौरान कई प्रकार की त्रुटियां रह गयी थीं. वर्तमान में विभाग की कवायद उन्हीं छूटी हुई और गलत ऑनलाइन की गयी जमाबंदी में सुधार से संबंधित है. वर्तमान में 4.39 करोड़ जमाबंदियों को ऑनलाइन किया जा चुका है. साथ ही विभाग द्वारा परिमार्जन और परिमार्जन प्लस पोर्टल के जरिए जमाबंदियों में त्रुटियों का निराकरण किया गया है. इसके बावजूद बड़ी संख्या में आमलोगों या रैयतों द्वारा जमाबंदी में त्रुटियों से संबंधित शिकायत पत्र दिये जा रहे हैं. इसे दूर करने के लिए विभाग ने यह कार्रवाई की है.

क्या कहते हैं मंत्री

इस संबंध में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग मंत्री डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने ऑनलाइन जमाबंदियों के जल्द- से -जल्द त्रुटिरहित करने की आवश्यकता बतायी है. उन्होंने कहा कि भूमि सर्वे और बंदोबस्त कार्यक्रम में जमाबंदियों को परिमार्जित और डिजिटाइज्ड होना अतिआवश्यक है. डिजिटली हस्ताक्षर वाले अधिकार अभिलेख देने की गुणवत्ता भी इस काम से जुड़ी हुई है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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