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अरविंद केजरीवाल की कुंडली में ग्रहों की अशुभता, इसलिए नहीं सजा सिर पर जीत का ताज

Delhi Elections 2025 Result: अरविन्द केजरीवाल जी का राजनीतिक करियर कई विवादों से प्रभावित रहेगा, जो शनि और चंद्रमा के प्रभाव के कारण उत्पन्न होंगे. हालांकि, गुरु की नवम दृष्टि चंद्रमा पर होने के कारण इनकी समस्याएं समय के साथ सहजता से सुलझ जाएंगी.

Delhi Elections 2025 Result: अरविन्द केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को रात्रि 00:30 बजे सिवानी, हरियाणा में हुआ. उनकी कुंडली वृष लग्न की है और राशि मेष है. लग्नेश, जो कि सिंह राशि में स्थित है, वृहस्पति और बुध के साथ चौथे भाव में उपस्थित हैं. केतु पंचम भाव में है, जबकि सूर्य और मंगल तीसरे भाव में स्थित हैं. द्वादश भाव में चंद्रमा शनि के साथ है, और राहू एकादश भाव में है. उनका जन्म नक्षत्र भरणी के चौथे चरण में हुआ है, जो वृद्धि योग का संकेत देता है. उनका जन्म शुक्र की महादशा में हुआ है, और वर्तमान में वे वृहस्पति की महादशा में राहु की अंतर्दशा का अनुभव कर रहे हैं. उनकी जन्मकुंडली में सबसे शुभ ग्रह शुक्र है, जो उन्हें लाभ प्रदान करता है. धनेश बुध चौथे भाव में है, जिससे उनके प्रारंभिक जीवन में मिश्रित अनुभव रहे हैं.

शनि और चंद्रमा की युति द्वादश भाव में होने के कारण उन्हें जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. उनके अंदर राजनीतिक गुण प्रबल हैं और वे संसाधनों का सही उपयोग करने में सक्षम हैं. मानसिक रूप से वे बहुत मजबूत हैं, हालांकि सूर्य ग्रह की स्थिति उन्हें पारिवारिक पीड़ा का सामना करवा सकती है.

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कैसा रहेगा राजनितिक जीवन

अरविन्द केजरीवाल जी का राजनीतिक जीवन कई विवादों से भरा रहेगा, जो शनि और चंद्रमा के प्रभाव के कारण उत्पन्न होंगे. हालांकि, गुरु की नवम दृष्टि चंद्रमा पर होने से इनकी समस्याएं समय के साथ आसानी से हल हो जाएंगी. जन्म कुंडली में नीच राजयोग के निर्माण के कारण पहले अपने लोगों के साथ विवाद उत्पन्न होगा. सबसे अधिक कठिनाइयाँ निकटतम सहयोगियों के साथ देखने को मिलेंगी. चौथे भाव में वृहस्पति, शुक्र और बुध की उपस्थिति इनके राजनीतिक जीवन को सशक्त बनाएगी. इस प्रकार, उनका राजनीतिक जीवन अत्यंत महत्वपूर्ण रहेगा.

कैसा रहेगा साल 2025 का चुनाव

साल 2025 की शुरुआत में केजरीवाल जी के लिए चुनावी स्थिति अत्यंत कठिन रहने की संभावना है. वृहस्पति की महादशा में राहू की अंतरदशा चल रही है, जो कि कष्टकारी सिद्ध होगी. शुक्र और राहू द्वादश भाव में स्थित हैं, जबकि शनि की दृष्टि पहले भाव पर है. मार्च में शनि कुम्भ राशि में गोचर करेंगे, जिससे इनका साढ़ेसाती प्रारंभ होगा, जो उनके लिए बहुत ही कठिनाई भरा रहेगा. वृहस्पति की महादशा में राहू की अंतर्दशा के दौरान कुंडली में वृहस्पति दूसरे भाव में अच्छी स्थिति में है, लेकिन अन्य ग्रहों की अशुभता के कारण इनकी ताजपोशी के लिए अनुकूलता नहीं रहेगी.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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