प्यार और खुशी का प्रतीक माना जाता है चाॅकलेट डे दीपांकर, सहरसा वैलेंटाइन वीक का तीसरा दिन प्यार और खुशी का प्रतीक माना जाता है. वैलेंटाइन सप्ताह का तीसरा दिन रिश्ते में मिठास घोलने के लिए चॉकलेट डे के रूप में मनाया जाता है. चॉकलेट डे हर साल 9 फरवरी को मनाते हैं. इस दिन लोग अपने प्रियजनों, दोस्तों या क्रश को चॉकलेट देकर अपने प्यार और स्नेह का इजहार करते हैं. हालांकि ये दिन सिर्फ तोहफा देने के लिए नहीं है, बल्कि रिश्तों में मिठास घोलने और प्यार जताने का मौका है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि छोटी-छोटी चीजें भी किसी को खुश कर सकती हैं. चॉकलेट को प्यार और खुशी का प्रतीक माना जाता है. चॉकलेट की मीठा स्वाद प्यार और दोस्ती में भी मिठास लाने का प्रतीक है. यह दिन लोगों को रिश्ते मजबूत करने और गलतफहमियां दूर करने का मौका देता है. चॉकलेट खाने से सेरोटोनिन और डोपामाइन नामक हैप्पी हार्मोन रिलीज होते हैं, जो मूड को अच्छा बनाते हैं और खुशी देते हैं. अगर आप अपने क्रश को अपनी भावनाएं बताना चाहते हैं तो चॉकलेट डे पर उन्हें चॉकलेट देकर दोस्ती और प्यार की शुरुआत कर सकते हैं. चॉकलेट स्ट्रेस को कम करने में मदद करती है. इसलिए चॉकलेट गिफ्ट करके आप अपने पार्टनर या दोस्तों को अच्छा महसूस करा सकते हैं. क्या है चॉकलेट डे का इतिहास 16वीं शताब्दी में यूरोप में चॉकलेट की लोकप्रियता बढ़ी और इसे प्रेम और खुशी से जोड़कर देखा जाने लगा।. धीरे-धीरे चॉकलेट प्रेम प्रस्तावों और खास मौकों का हिस्सा बन गयी. पहले चॉकलेट का स्वाद तीखा होता था. अमेरिका में कोको के बीच को पीसकर कुछ मसाले और मिर्च मिलाकर तीखी चॉकलेट बनायी जाती थी. कोको के पेड़ की खोज अमेरिका के वनों में की गयी थी. उस समय पेड़ की फलियों में जो बीज होते थे, उससे चॉकलेट बनायी जाती थी. माना जाता है कि चॉकलेट की शुरुआत मध्य अमेरिका और मैक्सिको के लोगों ने की. बाद में स्पेन और फिर पूरे विश्व में चॉकलेट प्रसिद्ध हुई. वैलेंटाइन वीक में इसे जोड़ने का मकसद रिश्तों को मिठास और प्यार से भरना है. 1840 में जब वैलेंटाइन डे ने लोकप्रियता हासिल करनी शुरू किया और प्यार भरे इस स्प्ताह का हिस्सा बन गया. तबसे लोग चॉकलेट डे मना रहे हैं.
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