Success Story: भारत में सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) पास करना हर विद्यार्थी का सपना होता है, लेकिन यह राह आसान नहीं होती. खासकर, जब सामाजिक बंधनों और पारिवारिक परिस्थितियों की चुनौतियां सामने हों. ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है बिहार की पहली और भारत की पांचवीं महिला आईपीएस अधिकारी मंजरी जरुहर की, जिन्होंने अपने सपनों को साकार करने के लिए हर मुश्किल का सामना डट कर किया.
सफर की शुरुआत
मंजरी जरुहर का जन्म एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ, जहां कई सदस्य IAS और IPS अधिकारी रह चुके थे. देखने में यह लग सकता है कि उनके लिए अधिकारी बनने का सफर आसान रहा होगा, लेकिन हकीकत इससे काफी परे थी. उन्हें उस सपोर्ट की कमी महसूस हुई, जिसकी उन्होंने उम्मीद की थी. शिक्षा के प्रति उनकी गहरी रुचि थी, लेकिन समाज की बेड़ियों और पारिवारिक दायित्वों ने उनके रास्ते में कई तमाम रुकावटें खड़ी कीं.
शादी और सपनों पर लगा ब्रेक
सिर्फ 19 साल की उम्र में मंजरी की शादी एक IFS अधिकारी से कर दी गई. शादी के बाद उन्हें महसूस हुआ कि उनके पति और ससुराल वाले शिक्षा को लेकर गंभीर नहीं थे. घर की जिम्मेदारियों के बीच उनकी पढ़ाई और करियर के सपने कहीं खोने लगे. एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें लगा कि वह पूरी जिंदगी सिर्फ गृहिणी बनकर रह जाएंगी.
लेकिन मंजरी जरुहर के सपनों की उड़ान इतनी जल्दी खत्म होने वाली नहीं थी. उन्होंने खुद को कमजोर नहीं पड़ने दिया और अपनी पहचान खुद बनाने का फैसला किया. समाज के दबाव को नजरअंदाज करते हुए, उन्होंने अपने ससुराल से अलग होने का साहसिक कदम उठाया और अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूरी तरह से समर्पित हो गईं.
UPSC की तैयारी और पहली असफलता
मंजरी ने पटना वीमेंस कॉलेज से इंग्लिश ऑनर्स और फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया. इसके बाद उन्होंने UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू की. साल 1974 में उन्होंने पहली बार परीक्षा दी, जिसमें प्रीलिम्स और मेंस तो पास कर लिया, लेकिन इंटरव्यू क्लियर नहीं कर पाईं. इस असफलता ने उन्हें तोड़ा नहीं, बल्कि और भी ज्यादा मजबूत बना दिया. उन्होंने 1975 में दोबारा परीक्षा दी और इस बार सफलता उनके कदम चूमी.
मेयोनीज सॉस और अनोखा इंटरव्यू
UPSC इंटरव्यू के दौरान, बोर्ड मेंबर्स ने मंजरी से मेयोनीज सॉस की रेसिपी पूछी. दरअसल, उन्होंने अपने UPSC फॉर्म में अपनी हॉबी “कुकिंग” लिखी थी, और यह सवाल उसी से प्रेरित था. मंजरी ने बिना हिचकिचाए स्टेप बाय स्टेप मेयोनीज बनाने की विधि बता दी. उस दौर में यह सॉस आज की तरह आसानी से बाजार में उपलब्ध नहीं थी, लेकिन उन्हें कुकिंग का अच्छा ज्ञान था. उनकी आत्मविश्वास भरी प्रस्तुति से इंटरव्यू बोर्ड इतना प्रभावित हुआ कि उनसे कोई और सवाल ही नहीं पूछा गया.
IPS बनने के बाद की यात्रा
मंजरी जरुहर को IPS पद तो मिला, लेकिन IAS नहीं. इसके बाद उन्होंने 1976 में दोबारा UPSC परीक्षा दी, लेकिन इस बार न तो मेंस क्लियर हुआ और न ही इंटरव्यू. हालांकि, उन्होंने अपने IPS करियर को आगे बढ़ाया और देश के लिए उत्कृष्ट सेवा दी. उनकी यह कहानी संघर्ष, आत्मनिर्भरता और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है. उन्होंने साबित किया कि परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों न हों, अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंजिल पाई जा सकती है.
मंजरी जरुहर: हर महिला के लिए प्रेरणा
आईपीएस मंजरी जरुहर रिटायरमेंट के बाद एक किताब लिखी और वह पब्लिश भी हुई. इस बुक का नाम ‘मैडम सर’ है. इस पुस्तक में उन्होंने बचपन से लेकर आईपीएस अधिकारी बनने तक की अपनी जीवन यात्रा और अनुभवों का वर्णन किया है. आज मंजरी जरुहर सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश की महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं. उन्होंने अपने सपनों को पाने के लिए हर मुश्किल को पार किया और यह साबित किया कि सही दिशा में मेहनत और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.
उनकी यह कहानी हर उस महिला के लिए एक सबक है, जो हालात से समझौता करने के लिए मजबूर महसूस करती हैं. मंजरी जरुहर ने दिखाया कि अगर आप अपने सपनों के लिए लड़ने का साहस रखते हैं, तो पूरी दुनिया आपके रास्ते खुलने पर मजबूर हो जाती है.
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