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कहीं और नहीं, पूर्णिया में ही खुले सेन्टर ऑफ एक्सिलेंस फॉर मखाना व बोर्ड

भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में खोले जाने की पहले से है मंजूरी

भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में खोले जाने की पहले से है मंजूरी

बड़ा उत्पादन केंद्र होने के कारण पूर्णिया में बोर्ड स्थापना की हो रही है डिमांड

पूर्णिया. सेन्टर ऑफ एक्सिलेंस फॉर मखाना एवं मखाना बोर्ड क्या पूर्णिया से बाहर खुलेगा ! इसकी स्थापना को लेकर पूर्णियावासी संजीदा हैं. सबकी मांग है कि मखाना से जुड़े केन्द्र की स्थापना पूर्णिया में होनी चाहिए. अपने पिछले अनुभवों को शेयर करते हुए लोग सवालिया लहजे में कहते हैं कि सेन्टर ऑफ एक्सिलेंस फॉर मखाना की मंजूरी मिलने के बावजूद यह कोई अन्य जिला छीन न ले. लोगों को आशंका है कि एयरपोर्ट की तर्ज पर इसके लिए भी साजिश शुरू हो गयी है. इस आशंका के मद्देनजर लोगों ने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है. गौरतलब है कि बिहार सरकार के चतुर्थ कृषि रोड मैप वर्ष 2023-28 के पृष्ठ संख्या 82 पर चौथे नंबर पर अंकित किया गया है कि सेन्टर ऑफ एक्सिलेंस फॉर मखाना पूर्णिया के भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में स्थापित किया जायेगा. उपलब्ध जानकारी के मुताबिक बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग के निदेशक द्वारा कई बार पत्राचार कर सेन्टर ऑफ एक्सिलेंस फॉर मखाना की स्थापना के लिए विस्तृत परियोजना को समर्पित भी किया गया है. इधर यह आशंका बढ़ गयी है कि सियासी तिकड़म के तहत सेन्टर ऑफ एक्सिलेंस फॉर मखाना को पूर्णिया की बजाय दूसरे जिले में स्थापित करने की तैयारी चल रही है. इस आशंका से स्थानीय लोग क्षुब्ध हो उठे हैं. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में नागरिकों ने पूर्णिया के भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में सेन्टर ऑफ एक्सिलेंस फॉर मखाना व एवं मखाना बोर्ड की स्थापना करने की मांग की है.

मखाना का बड़ा उत्पादक क्षेत्र बना है पूर्णिया

दरअसल, भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम द्वारा लगातार कई सालों की मेहनत के बाद पूर्णिया व कोशी प्रमंडल मखाना का बड़ा उत्पादक क्षेत्र बना है और यहां मखाना उद्योग की संभावनाएं विकसित हुई हैं. इससे रोजगार सृजन के नये अवसर भी बने हैं जिससे खेतिहर मजदूरों के पलायन पर नियंत्रण भी काफी हद तक हुआ है. वैज्ञानिकों के प्रयास से ही मखाना का जीआइ टैग मिला जिससे किसानों को विपणन में अधिक से अधिक लाभ मिलना शुरू हुआ और उनकी सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति भी हुई. यह देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा मखाना को जल जीवन हरियाली विकास योजना में शामिल कर इस क्षेत्र में मखाना के उन्नतशील प्रजाति के प्रचार-प्रसार की योजना का शुभारंभ कर राज्यस्तर पर भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय को नोडल केंद्र बनाया गया.

बोर्ड की स्थापना से मखाना का कटोरा बनेगा पूर्णिया

अभी हाल ही में केंद्र सरकार के बजट में बिहार में मखाना बोर्ड की स्थापना की घोषणा हुई है और यह माना जा रहा है कि मखाना बोर्ड सही मायने में पूर्णिया की जरूरत है. इसके साथ ही पूर्णिया में राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र खोले जाने की भी मांग होती रही है. जानकारों का कहना है कि इससे आने वाले दिनों में पूर्णिया का यह इलाका न केवल मखाना का कटोरा बनेगा बल्कि किसानों की तकदीर भी संवरेगी. इसके साथ ही देश को 70 फीसदी मखाना देने वाले इस इलाके के दिन भी बहुरेंगे. जानकारों का कहना है कि मखाना उत्पादक छोटे मंझोले किसानों को सीधा लाभ पहुंचेगा. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में इस लिहाज से मखाना बोर्ड एवं मखाना अनुसंधान केंद्र को पूर्णिया में स्थापित किए जाने की मांग की गईयीहै.

आंकड़ों पर एक नजर

2012 में 12000 से 15000 हेक्टेयर में होती थी मखाना की खेती

12 वर्षों में मखाना आच्छादन का बढ़ा दोगुना से ज्यादा क्षेत्रफल

12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मखाना उत्पादकता में हुई वृद्धि

2025 में हो रही 35324 हेक्टेयर में मखाना की खेती

1.25 लाख किसानों को प्रति हेक्टेयर हुआ अतिरिक्त लाभ

1545 किसानों को दिया गया मखाना उत्पादन तकनीक का प्रशिक्षण

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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