27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

विश्व पुस्तक मेले में डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल के निबंध संग्रह का लोकार्पण

World Book Fair : डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल की दूसरी विमोचित पुस्तक ‘गए दिनों का सुराग़ लेकर’ की चर्चा करते हुए युवा आलोचक डॉ पल्लव ने कहा कि यदि नई सदी को कथेतर लेखन की सदी कहा जा रहा है तो इसका श्रेय संस्मरण विधा को सबसे अधिक है और दुर्गाप्रसाद अग्रवाल के संस्मरण निश्छलता व हार्दिकता का अनूठा मेल हैं.

World Book Fair : रोजमर्रा के विषयों पर निबंध लिखना आसान नहीं है क्योंकि ऐसे निबंधकार को जीवन के बुनियादी और मूलभूत संघर्षों से दो चार होना पड़ता है. विख्यात आलोचक डॉ वैभव सिंह ने विश्व पुस्तक मेले में डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल की दो पुस्तकों का लोकार्पण करते हुए कहा कि अग्रवाल का लेखन हिंदी निबंध लेखन की गौरवशाली परंपरा की याद दिलाता है जो भारतेंदु, बालकृष्ण भट्ट और परसाई जैसे महान निबंधकारों की थाती है. कौटिल्य बुक्स के स्टॉल पर हुए लोकार्पण में डॉ सिंह ने उनके निबंध संग्रह ‘पड़ोस का समय’ के विषय वैविध्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि साहित्य, संस्कृति, मीडिया और शिक्षा से जुड़े गंभीर मुद्दों पर अग्रवाल के निबंध पाठकों को समृद्ध करने वाले हैं. उन्होंने इन निबंधों की भाषा शैली को भी सरल और बोधगम्य बताया.


डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल की दूसरी विमोचित पुस्तक ‘गए दिनों का सुराग़ लेकर’ की चर्चा करते हुए युवा आलोचक डॉ पल्लव ने कहा कि यदि नई सदी को कथेतर लेखन की सदी कहा जा रहा है तो इसका श्रेय संस्मरण विधा को सबसे अधिक है और दुर्गाप्रसाद अग्रवाल के संस्मरण निश्छलता व हार्दिकता का अनूठा मेल हैं. पल्लव ने कहा कि इस संस्मरण पुस्तक में डॉ अग्रवाल के कालेज अध्यापन के सुनहरे प्रसंग हैं जो पिछली शताब्दी में उच्च शिक्षा की गंभीरता और शिक्षकों के समर्पण से उपजे हैं. पल्लव ने कहा कि स्मृतियों से शक्ति भी मिलती है और यह पुस्तक लेखक की सकारात्मक दृष्टि का सुंदर चित्र खींचने में सफल है.


आयोजन में राजस्थान विश्वविद्यालय के हिंदी प्रोफ़ेसर डॉ विशाल विक्रम सिंह ने कहा कि गद्य विधाओं के लेखन में डॉ अग्रवाल ने लगातार सृजन किया है जो किसी भी प्रतिबद्ध लेखक के लिए स्पृहणीय है. सिंह ने कहा कि असामाजिकता के कटु वातावरण में अग्रवाल साहब का सम्पूर्ण लेखन पाठकों को विवेकवान नागरिक बनाता है. संयोजन कर रही काजी नजरूल विश्वविद्यालय, आसनसोल की हिंदी विभाग की प्रोफेसर एकता मंडल ने निबंध लेखन को अनिवार्य बताते हुए इसे लोकतंत्र के लिए भी आवश्यक बताया.


इससे पहले कौटिल्य बुक्स के निदेशक सुधीर यादव ने सभी वक्ताओं का स्वागत किया और बताया कि उनके प्रकाशन से डॉ अग्रवाल की यह छठी पुस्तक है. आयोजन में बड़ी संख्या में पाठक, लेखक और साहित्यकार उपस्थित थे.कार्यक्रम के अंत में सूरज कुमार ने सभी का आभार प्रदर्शित किया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें