पार्टी के 100 से अधिक विधायकों ने 2024-25 के सत्र में नहीं पूछा एक भी सवाल
संवाददाता, कोलकाता
किसी भी विधायक को अपनी काबिलियत दिखाने के लिए मुख्य रूप से दो जगह ही मिलती है. पहला उनका विधानसभा क्षेत्र और दूसरा विधानसभा. पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2024-25 में राज्य विधानसभा का सत्र 40 दिनों के लिए चला था. लेकिन सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कई विधायक ऐसे भी थे, जो इन 40 दिनों में सक्रिय भूमिका निभाना तो दूर, एक भी सवाल पूछते नजर नहीं आये. सोमवार को, राज्य विधानमंडल के लिए एक और नया वर्ष शुरू हो रहा है और इसके प्रथम दिन ही तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पार्टी विधायकों के साथ बैठक करेंगी. बताया गया है कि राज्य विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस के विधायकों की संख्या फिलहाल 221 है और तृणमूल द्वारा तैयार की गयी सूची से पता चला है कि करीब 100 से अधिक विधायकों ने पिछले वर्ष एक भी प्रश्न नहीं पूछा.
तृणमूल कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, सोमवार को जब पार्टी नेता विधानसभा आयेंगे, तो संसदीय दल के साथ बैठक से पहले यह सूची सौंप दी जायेगी. मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी सोमवार को उन विधायकों को कड़ा संदेश दे सकती हैं. इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के एक शीर्ष सदस्य ने कहा कि विधानसभा विधायकों के बोलने का स्थान है, जहां विभिन्न मुद्दों, प्रस्तावों, विधेयकों, प्रश्नोत्तर सत्रों पर अपने निर्वाचन क्षेत्रों के फायदे और नुकसान को उजागर करने के लिए ध्यानाकर्षण सत्र और शून्यकाल जैसे कई महत्वपूर्ण सत्र होते हैं. लेकिन ज्यादातर मामलों में, यह देखा जाता है कि विधायक इन सत्रों का उपयोग करने में रुचि नहीं दिखाते हैं. वे विधानसभा में आते हैं, रजिस्टर पर हस्ताक्षर करते हैं और चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी सुप्रीमो ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि हर विधायक को विधानसभा की गतिविधियों में भाग लेना ही होगा. इस संबंध में राज्य विधानसभा के मंत्री शोभनदेब चट्टोपाध्याय ने कहा कि सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद विधायकों के साथ बैठक करने जा रही हैं, जो विधानसभा परिसर में दोपहर एक बजे से शुरू होगी. अब विधायकों को जो भी संदेश देना हैं, वह स्वयं मुख्यमंत्री देंगी. हालांकि, उन्होंने कहा कि सभी विधायकों को विधानसभा में समय का सदुपयोग करना चाहिए. अपने क्षेत्र के लोगों के बारे में अधिक बात रखनी चाहिए. छोटे-छोटे सवाल पूछने चाहिए. फायदे और नुकसान का जिक्र करना चाहिए. उन्होंने अपने लंबे विधानसभा जीवन से यही सीखा है.
गाैरतलब है कि कई पूर्व मंत्री और विधायक इस सूची में शामिल हैं. वर्तमान में विधायक और कभी मंत्री पद पर रह चुके, लेकिन अब विधायक के रूप में ””””””””खामोश”””””””” रहने वाले विधायकों में सावित्री मित्रा, अब्दुल करीम चौधरी, गयासुद्दीन मुल्ला और तपन दासगुप्ता जैसे विधायक शामिल हैं. वहीं, एक भी प्रश्न नहीं पूछने वाले विधायकों में चिरंजीत चक्रवर्ती, कंचन मलिक, रुकबान-उर रहमान, आशीष मरजीत, शंपा धारा समेत कई विधायक शामिल हैं. वहीं, विधानसभा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले विधायकों में अपूर्व सरकार, राणा चटर्जी, मोहम्मद अली, देबब्रत मजूमदार, श्यामल मंडल, समीर जाना, सुकांत पाल समेत अन्य शामिल हैं.
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