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Health: लिंफेटिक फाइलेरिया के समस्त उन्मूलन के लिए शुरू हुआ राष्ट्रीय सार्वजनिक औषधि वितरण अभियान 

लिंफेटिक फाइलेरिया बीमारी के संपूर्ण उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार ने चिन्हित 13 राज्यों में राष्ट्रीय सार्वजनिक औषधि वितरण अभियान का शुभारंभ किया. सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने लिंफेटिक फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए 13 राज्यों में राष्ट्रीय सार्वजनिक औषधि वितरण अभियान शुरू किया.

Health: देश में लिंफेटिक फाइलेरिया(हाथी पांव) को पूरी तरह खत्म करने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इस बीमारी के संपूर्ण उन्मूलन के लिए केंद्र सरकार ने चिन्हित 13 राज्यों में राष्ट्रीय सार्वजनिक औषधि वितरण अभियान का शुभारंभ करने की शुरुआत की है. सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने लिंफेटिक फाइलेरिया के उन्मूलन के लिए  13 राज्यों में राष्ट्रीय सार्वजनिक औषधि वितरण अभियान का शुभारंभ किया. इस पहल का मकसद लाखों लोगों को कमजोर करने वाली लिंफेटिक फाइलेरियासिस बीमारी से बचाना है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सोमवार को देश के 111 जिलों में 17.5 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त में दवाइयां उपलब्ध कराने का फैसला लिया है.

सतत विकास लक्ष्य को हासिल करने के लिए वर्ष 2030 तक देश को इस रोग से मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए पांच आयामी रणनीति को लागू किया जायेगा. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री नड्डा ने लिंफेटिक फाइलेरिया बीमारी से प्रभावित 13 चिन्हित राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए वार्षिक राष्ट्रीय सार्वजनिक औषधि वितरण (एमडीए) अभियान का शुभारंभ किया. इस अभियान के तहत 13 राज्यों के 111 प्रभावित जिलों को शामिल किया जाएगा जिसमें घर-घर जाकर फाइलेरिया की रोकथाम के लिए दवाइयां मुहैया करायी जायेगी.

इस कार्यक्रम में सत्य कुमार यादव (आंध्र प्रदेश), अशोक सिंघल (असम), श्याम बिहारी जयसवाल (छत्तीसगढ़), ऋषिकेश गणेश भाई पटेल (गुजरात), इरफान अंसारी (झारखंड), दिनेश गुंडू राव (कर्नाटक), राजेंद्र शुक्ला (मध्य प्रदेश), मुकेश महालिंग (ओड़िया), मंगल पांडेय (बिहार), प्रकाशराव अवित्तकर (महाराष्ट्र) और ब्रजेश पाठक (उत्तर प्रदेश) के स्वास्थ्य मंत्री शामिल हुए. 


जनभागीदारी से देश को फाइलेरिया मुक्त बनाना है लक्ष्य


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को फाइलेरिया मुक्त बनाना केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता है. लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने में सभी लोगों की और सामुदायिक भागीदारी जरूरी है. सक्रिय सामुदायिक भागीदारी और सामूहिक स्वामित्व की भावना के साथ भारत लिंफेटिक फाइलेरिया को खत्म कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि लाखों लोग इस बीमारी से सुरक्षित रह सकें. लिंफेटिक फाइलेरिया लोगों को अक्षम बना देता है और उनके जीवन की गुणवत्ता को खराब करता है. इसे देखते हुए सरकार पांच-आयामी रणनीति को लागू करने पर जोर दे रही है ताकि वर्ष 2030 के सतत विकास लक्ष्य से बहुत पहले इस बीमारी को जड़ से खत्म कर दिया जाए.

यह अभियान 13 राज्यों के 111 जिलों में साल में दो बार शुरू होता है और 10 फरवरी से ये दवाएं इस बीमारी से चिन्हित जिलों में 17.5 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त में उपलब्ध करायी जायेगी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पीड़ित लोगों की चिकित्सा की निगरानी करने की अपील की. साथ ही इस अभियान को सफल बनाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस बीमारी में मृत्यु दर बहुत अधिक है और ऐसे में इस रोग को जड़ से खत्म करना बड़ी चुनौती है. 

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