Bill Gates: सोशल मीडिया पर आए दिन इस बात पर बेहेस छिड़ी रहती है कि एक आदमी को अमूमन हफ्ते में कितने घंटे काम करनी चाहिए. इस विषय पर कई बड़े बड़े उद्योगपतियों की टिपणी भी वायरल होती रहती है जो कहते है कम से कम 80-90 घंटे हफ्ते में काम करना ही चाहिए. अब माइक्रोसॉफ्ट के को फाउंडर और दुनिया के शीर्ष धनि यक्ति में शामिल बिल गेट्स का नाम भी इस सूची में जुड़ गया है. उन्होंने बताया कि अपने करियर के शुरुआती दिनों में वह भी सप्ताह में 80 घंटे तक काम कर चुके हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इतना अधिक काम करने के पीछे एक उनका डर था, जिसने उन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित किया.
क्या था Bill Gates का डर?
CNBC से बातचीत में गेट्स ने खुलासा किया कि कंपनी के सार्वजनिक होने के दसकों बीत जाने के बाद भी उन्हें Microsoft की सफलता को लेकर 1998 तक संतुष्टि महसूस नहीं होती थी. अपार संपत्ति के बावजूद, वह Microsoft को प्रतिस्पर्धियों से आगे बनाए रखने को लेकर बेहद सतर्क थे. उन्हें हमेशा यह डर लगा रहता था की छोटी सी गलती कंपनी पर्सनल कंप्यूटर क्रांति में अपनी अग्रणी स्थिति खो सकती है. इसीलिए वो उस समय नियमित रूप से हर हफ्ते 80 घंटे सॉफ्टवेयर कोडिंग करते थे. उस समय Microsoft की वैल्यू 250 अरब डॉलर से अधिक थी, और गेट्स खुद 58 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति थे.
उन्होंने स्वीकार किया कि 1990 के दशक के अंत तक, वह लगातार इस सोच में रहते थे कि किसी भी गलती से माइक्रोसॉफ्ट का अंत हो सकता है. गेट्स ने एक बार कहा था, “मुझे लगता था कि मैं सिर्फ एक गलती दूर हूं अपनी मौत से.” उनका यह “सर्वाइवल मेंटैलिटी” माइक्रोसॉफ्ट को लगातार आगे बढ़ाने का कारण बनी, भले ही कंपनी उस समय पहले से ही ग्लोबल लीडर बन चुकी थी. हालांकि, 90 के दशक के अंत तक गेट्स को भरोसा होने लगा कि कंपनी अब एक मजबूत स्थिति में है. उन्होंने महसूस किया कि इतनी बड़ी सफलताओं के बाद, माइक्रोसॉफ्ट कुछ गलतियां झेल सकता है.
माइक्रोसॉफ्ट की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में माइक्रोसॉफ्ट 3 ट्रिलियन डॉलर की कंपनी बन चुकी है, और ब्लूमबर्ग के अनुसार, बिल गेट्स की कुल संपत्ति अनुमानित 165 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है. हालांकि गेट्स ने माइक्रोसॉफ्ट के रोजमर्रा के संचालन से दूरी बना ली है, लेकिन वे अब भी परोपकार के क्षेत्र में सक्रिय हैं. बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के जरिए वे वैश्विक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन और शिक्षा जैसे अहम मुद्दों पर काम कर रहे हैं.