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श्रीराम-भरत कथा समुद्र के समान – कथावाचक

कथावाचक ने कहा कि भगवान के नाम के अलावा कुछ नहीं है.

मुंगेर मोगल बाजार स्थित मां दशभुजी दुर्गा मंदिर में श्रीराम नवाह कथा के आठवां दिन का प्रारंभ वंदना के साथ शुरू हुआ. वाराणसी से आए ब्राह्मण गौतम झा, शांतनु तिवारी, कैलाश झा उर्फ छोटे बाबा जी द्वारा मंदिर में विभिन्न देवी देवताओं का पूजन मुख्य यजमान दीपक कुमार एवं इनकी पत्नी संगीता सिन्हा से कराया गया. कथावाचक श्री देवदत्त झा मुचुकुन्द जी महाराज ने अपने उद्बोधन में अयोध्या कांड के केवट संवाद को आगे बढ़ाते हुए कहा कि श्रीराम जी वन में हैं और राजा दशरथ जी स्वर्ग को चले गए. मैया पिंगला और राजा भरथरी के भाव सागर की कहानी भी सुनायी. इस बीच जल जाए जिह्वा पाप रे राम के बिना गीत गए तो भक्त झूमने लगे. साथ ही व्याधा और बाज की गीत पर मुग्ध हो गये. कथावाचक ने कहा कि भगवान के नाम के अलावा कुछ नहीं है. श्रीराम-भरत कथा समुद्र के समान अथाह है. जिसमें प्रेम, वियोग, पारिवारिक जीवन और प्रभु की लीलाएं हैं. भरत जब चित्रकूट पर श्रीराम को वापस लेने आये तो उस समय दोनों भाईयों के बीच प्यार देखकर वहां सभी की आंखें नम हो गयी थी. श्रीराम-भरत भाई के बीच प्रेम का उत्कृष्ट उदाहरण है. भगवान ने मानव रूप में हमें जो पारिवारिक जीवन का उदाहरण दिया है. वह केवल भारतीय ही समझ सकते हैं. कथा के अंत में मुख्य यजमान एवं सदस्यगण और भक्तगण सामूहिक आरती की गयी. मौके पर मंदिर समिति अध्यक्ष ललन ठाकुर, सुरेंद्र प्रसाद, धीरेन्द्र प्रसाद, उमेश कुमार, आशुतोष मिश्रा, विनोद वर्मा, संतोष कुमार, शिव कुमार वर्मा आदि मौजूद थे.

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