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सौंदर्यीकरण पर करोड़ों रुये हुए खर्च, योजनाएं हुईं ध्वस्त

नगर परिषद की योजनाओं में आम जनता के पैसे की बर्बादी, लोगों की आस रह गयी अधूरी

साहिबगंज. नगर परिषद द्वारा विकास और सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, लेकिन जब धरातल पर इन योजनाओं की हकीकत देखी जाती है, तो भ्रष्टाचार और लापरवाही का एक नया चेहरा सामने आता है. साहिबगंज नगर परिषद भी इस कुप्रथा का अपवाद नहीं है. यहां आम जनता से वसूले गये टैक्स के पैसों का कैसे दुरुपयोग किया जाता है, इसकी मिसाल कुछ हालिया योजनाओं में साफ देखने को मिलती है. नगर परिषद ने शहर के सौंदर्यीकरण के नाम पर करोड़ों की योजनाएं बनाईं, लेकिन इनमें से कई योजनाएं अपने उद्देश्यों को पूरा करने से पहले ही धराशायी हो गयीं. इन योजनाओं का लाभ जनता को नहीं मिला, लेकिन इनके नाम पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिये गये. आइए, साहिबगंज में हुए कुछ ऐसे मामलों पर नजर डालते हैं, जो सरकारी धन के दुरुपयोग की पोल खोलते हैं. केस स्टडी 1: धोबी झरना सौंदर्यीकरण – 91 लाख की बर्बादी वित्तीय वर्ष 2020-21 में साहिबगंज नगर परिषद द्वारा धोबी झरना के सौंदर्यीकरण के लिए लगभग 91 लाख रुपये खर्च किये गये. इस राशि से झरने और उसके आसपास के क्षेत्र को सजाने-संवारने का काम किया गया था. हालांकि, योजना पूरी होने के बावजूद जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिला. धोबी झरना घाट का सौंदर्यीकरण सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहा. धीरे-धीरे यह स्थान जर्जर होता गया और महज तीन वर्षों के भीतर वहां लगा एक-एक सामान ध्वस्त हो गया. आज यह जगह अपनी बर्बादी की कहानी खुद बयां कर रही है. केस स्टडी 2: सरकारी तालाब का सौंदर्यीकरण में 61 लाख की योजना पूरी तरह बेकार नगर परिषद ने वर्ष 2020-21 में पुरानी साहिबगंज स्थित किदवई रोड के पास के सरकारी तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए 61 लाख रुपये की योजना बनाई थी. इसका उद्देश्य था कि आसपास के लोग वहां आकर शांति और सुकून महसूस कर सकें. लेकिन योजना पूरी होने के बाद भी इस तालाब का उपयोग जनता द्वारा कभी नहीं किया गया. वहां लगे गेट में हमेशा ताला लटका रहा, और धीरे-धीरे यह भी जर्जर होता चला गया. आश्चर्य की बात यह है कि अब उसी तालाब के पुनः सौंदर्यीकरण के लिए 1.59 करोड़ रुपये की लागत से नया प्रोजेक्ट शुरू कर दिया गया है. यानी पुरानी योजना पूरी तरह से विफल होने के बावजूद नगर परिषद जनता के पैसे की बर्बादी जारी रखे हुए है. केस स्टडी 3: बिना आबादी के इलाके में सड़क, घनी आबादी वाले क्षेत्र में उपेक्षा नगर परिषद द्वारा की जा रही धनराशि की बर्बादी का यह सिलसिला यहीं नहीं रुकता. साहिबगंज के दहला मुहल्ला स्थित महिला कॉलेज के पीछे के प्लॉट पर, जहां आबादी भी नहीं है, लाखों रुपये खर्च कर सड़क बना दी गयी. वहीं, दूसरी ओर लंच घाट के पास संत जेवियर स्कूल के गर्ल्स हॉस्टल के समीप के मोहल्ले में घनी आबादी होने के बावजूद सड़क निर्माण नहीं कराया गया. स्थानीय लोगों ने नगर परिषद से लेकर पिछली सरकार के विधायकों तक कई बार आवेदन दिए, लेकिन अब तक इस क्षेत्र को सड़क की सुविधा नहीं मिल पाई है. नगर परिषद के खर्चों पर निगरानी की जरूरत इन मामलों से साफ जाहिर होता है कि नगर परिषद द्वारा किये जा रहे कार्यों की निगरानी नहीं होने के कारण सरकारी धन का खुला दुरुपयोग किया जा रहा है. जनता के टैक्स के पैसे को विकास कार्यों में लगाया तो जा रहा है, पर योजनाएं दम तोड़ती जा रही हैं. क्या कहते हैं नगर परिषद के प्रशासक जो जानकारी उन्हें मिल रही है इस पर वे इसकी जांच करायेंगे. जहां जरूरी है और सड़क नहीं बनी है तो वहां योजना कमेटी के माध्यम से सड़क बनाने का कार्य किया जायेगा. देखरेख के अभाव में जो योजनाएं ध्वस्त हो रही हैं, उसको चिन्हित कर नगर परिषद इस पर जल्द ही कोई सार्थक निर्णय लेगा. अभिषेक कुमार सिंह, प्रशासक, नगर परिषद, साहिबगंज

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