CMPF Interest Rate: रांची, मनोज सिंह-पिछले 24 साल से कोयलाकर्मियों के लिए बने कोल माइंस प्रोविडेंट फंड (सीएमपीएफ) पर ब्याज दर लगातार घट रही है. इससे कोयलाकर्मियों को जमा राशि पर कम ब्याज मिल रहा है. इसका कोयलाकर्मियों ने विरोध भी किया है. वर्ष 2000 में कोयलाकर्मियों को सीएमपीएफ मद में जमा राशि पर 12 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था. अब यह घटकर 7.60 फीसदी हो गया है. कोयलाकर्मियों को पीएफ पर मिलनेवाले ब्याज की दर बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में तय होती है. इस ट्रस्ट के चेयरमैन कोयला सचिव होते हैं. इसमें ज्यादातर सदस्य सरकार के अधिकारी या उनके द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि होते हैं. ब्याज दर का निर्णय बहुमत से होता है. इसमें ट्रेड यूनियन के चार प्रतिनिधि भी बैठते हैं. यूनियन के बहुत विरोध का भी असर ट्रस्टी की बैठक में नहीं हो पाता है.
अब तक की सबसे कम ब्याज दर
कोयलाकर्मियों को पीएफ जमा पर पिछले 40 साल में अब तक की सबसे कम ब्याज दर मिल रही है. मार्च 1986 में कोयलाकर्मियों को 10.50 फीसदी की दर से ब्याज मिलता था. मार्च 1991 से मार्च 2000 तक कोयलाकर्मियों को लगातार 12 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा था. मार्च 2001 के बाद यह लगातार घट रहा है. मार्च 2004 से मार्च 2016 तक ब्याज दर 8.50 फीसदी थी. यह मार्च 2017 में 8.60 हो गयी. मार्च 2018 से मार्च 2021 तक यह 8.50 हो गयी थी. मार्च 2023 में 8.00 और अब 7.60 फीसदी की दर से ब्याज दिया जा रहा है.
12 फीसदी कटती है राशि
कोयलाकर्मियों के मूल वेतन से 12 फीसदी राशि सीएमपीएफ के रूप में कटती है. इस पर उतनी प्रतिशत राशि कोयला कंपनियां देती हैं. यह 1948 में लाये गये एक्ट के आधार पर काम करता है.
केंद्र सरकार की नीति का नतीजा-लखनलाल महतो
एटक के लखनलाल महतो ने कहा कि यह केंद्र सरकार की नीति का नतीजा है. सरकार कोयलाकर्मियों का पैसा शेयर में लगाती है. हम हमेशा से इसका विरोध कर रहे हैं. इससे कोयलाकर्मियों को नुकसान हो रहा है. पहले जमा राशि पर 12% तक ब्याज मिलता था.
कोयलाकर्मियों को नुकसान-आरपी सिंह
सीटू के आरपी सिंह ने कहा कि मजदूर संगठन बीओटी में रहकर भी विरोध करते हैं, लेकिन बहुमत से होता है. इस कारण कोयलाकर्मियों को नुकसान हो रहा है. रिटायरमेंट के समय अनुमान से कम राशि मिल पाती है. इससे बुढ़ापे में परेशानी होती है.
घटी हुई ब्याज दर चिंता का विषय-राजीव रंजन सिंह
बीएमएस के राजीव रंजन सिंह ने कहा कि पहले काफी अच्छी ब्याज दर मिलती थी. घटी हुई ब्याज दर चिंता का विषय है. कई फोरम पर इसके खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं. केंद्र सरकार को मजदूरों के हित में सोचना चाहिए.
कब-कितनी ब्याज दर
वर्ष—–ब्याज दर
मार्च 2000—–12.00%
मार्च 2001—–11.00%
मार्च 2003—–9.00%
मार्च 2004—–8.00%
मार्च 2007—–8.50%
मार्च 2017—–8.60%
मार्च 2020—–8.50%
मार्च 2022—–8.00%
मार्च 2024—–7.60%
मार्च 2025—–7.60%
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