पूसा : डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अधीनस्थ मात्स्यिकी महाविद्यालय के लैब में लगे एक्वेरियम में रंगीन मछली के व्यवसायिक पालन का प्रत्यक्षण किया गया. अधिष्ठाता डॉ पीपी श्रीवास्तव ने बताया कि रंगीन मछलीपालन के लिए एक्वेरियम या छोटे तालाब की जरूरत होती है. इसके लिए सरकार की ओर से आर्थिक मदद भी मिलती है. रंगीन मछलीपालन के लिए कुछ खास तकनीकी बातों पर ध्यान देने की जरूरत है. मछलियों को रोजाना भोजन देना चाहिए. मछलियों के लार्वा को पोषित रखने के लिए जिंदा खाना केंचुए की जरूरत होती है. पानी को 7 से 10 दिन के अंतराल में बदलना चाहिए. पानी का तापमान 24 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच रखना चाहिए. पानी साफ रखने के लिए फिल्टर का इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने बताया कि एयरेटर से लगातार हवा का प्रवाह बनाये रखना चाहिए. मछली के मर जाने पर उसे तुरंत निकाल देना चाहिए. अधिष्ठाता डॉ श्रीवास्तव ने कहा कि वयस्क मछलियां, मछलियों का खाना, सीमेंट टैंक या कांच का एक्वेरियम, कृत्रिम हवा की मशीन, दवाइयां आदि उपकरणों के अनुसार वैज्ञानिकी तकनीक अपनाने की आवश्यकता होती है. फेंगशुई मछली के रूप में सुनहरी मछली को घर में रखा जा सकता है. इसके अलावा अरोवाना मछली, बटरफ्लाई कोई, रेनबो मछली पसंद हो सकती है. एक एकड़ के तालाब में मछलीपालन से पांच लाख रुपये से लेकर आठ लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है. यह आमदनी इस बात पर निर्भर करती है कि मछलीपालन में किस तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. रंगीन मछलीपालन शुरू करने के लिए सबसे पहले जरूरी प्रशिक्षण लेना होता है. इसके लिए कम से कम 1000 वर्ग फुट जमीन की जरूरत होती है. इसके साथ ही ऊपर से ढके सीमेंट टैंक, पानी की उपयुक्त सुविधा, कांच के एक्वेरियम, वयस्क मछलियां, प्लेट खाना तैयार करने की छोटी मशीन, खान बनाने के लिए जरूरी सामाग्री, दवाइयां, कृत्रिम हवा प्रदान करने की लिए मशीन, मछली पकड़ने का जाल, मछली को पैक करने के लिए प्लास्टिक की थैलियां और ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत होती है.
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