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एक-दो-पांच के सिक्के बाजार से हो रहे गायब, लोगों को सिक्कों की आने लगी याद

इलाके में सिक्कों का चलन बंद तो हुए बरस गुजर गए, अब एक-दो-पांच के बाद दस के नोट भी धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं.

ठाकुरगंज.इलाके में सिक्कों का चलन बंद तो हुए बरस गुजर गए, अब एक-दो-पांच के बाद दस के नोट भी धीरे-धीरे गायब हो रहे हैं. इस नोट की गैर मौजूदगी से लोगों को फिर सिक्के याद आने लगे हैं. पूरे देश में चलने वाले सिक्के अपने शहर में वैसे ही बंद हो जाने को लोग अच्छा नहीं समझते. बातचीत में लोगों का कहना था कि हर हाल में सिक्के चलन में आने चाहिए. हालांकि इन पर कोई अघोषित प्रतिबंध भी नहीं लगा पर बाजार में एक-दो-पांच के बाद अब दस के नोट भी दिखने लगभग बंद होने लगे हैं. ऐसे में लोग इससे भी परेशान दिख रहे हैं. तकनीकी विकास ने व्यापारिक हालात को पूरी तरह बदल दिया है. व्यपार में भी डिजिटल उपकरणों का बढ़ता उपयोग जीवनशैली को आकार दे रहे हैं. डिजिटल उपकरणों का इस तरह उपयोग बढ़ गया है कि बाजारों में हर छोटी से छोटी दुकानों पर आनलाइन ट्रांजेक्शन हो रहे है. ऑटो चालक भी 10 से 20 रुपये किराया आनलाइन ले रहे है. ऐसे में खुल्ले सिक्के व 10-20 रुपये के नोट बाजारों से कुछ गायब होते दिख रहे है. नीम का दातुन बेच रहे व्यापारी ने कहा कि सिक्के अब नहीं चलते है. कोई लेता भी नहीं है. पानी-सुपारी बेच रहे विक्रेता का कहना है कि खुदरा रुपये बाजार में देखने को नहीं मिलता है, जिससे बहुत ही असुविधा होती है. ऑनलाइन रुपया लेना पड़ता है. एटीएम में 500 रुपये के नोट ही निकलते है. खुदरा नहीं होने से सामान बेचने में भी समस्या होती है. सभी बड़े नोट लेकर ही बाजारों में आते है. इधर, अन्य व्यापारी ने कहा कि भारत सरकार ने 1-2 रुपये के सिक्कों को बंद नहीं किया है. इसके बावजूद यहां कोई लेना नहीं चाहता है. बैंक में भी 50-100 रुपये के खुदरा रुपये नहीं मिलते है. वहीं आजकल डिजिटल का उपयोग इस तरह से बढ़ चुका है कि हर कोई बाजार में फोन-पे, गुगल-पे से पेमेंट लेते है. ऐसे में अचानक बाजारों से खुदरा रुपयों का गायब हो जाना, सोचनीय विषय है. 50 रुपये का सामान खरीदने वाले क्रेता भी 500 रुपये का नोट हाथों में थमाते है, जिसका खुदरा उन्हें देना संभावित नहीं है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

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