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तीसरी कक्षा के 60 फीसदी बच्चे नहीं पढ़ सके दूसरी कक्षा की पुस्तक

श की शिक्षा व्यवस्था का आधार स्कूली शिक्षा मानी जाती है. बच्चों के प्रारंभिक ज्ञान की नींव स्कूली शिक्षा होती है.

प्रकाश कुमार, समस्तीपुर : देश की शिक्षा व्यवस्था का आधार स्कूली शिक्षा मानी जाती है. बच्चों के प्रारंभिक ज्ञान की नींव स्कूली शिक्षा होती है. हमारे स्कूलों में हो रही पढ़ाई और उसमें पढ़ने आने वाले बच्चों की स्थिति क्या है? वो कितनी कारगार है और इसमें कितनी सुधार की गुंजाइश है. इसको लेकर शिक्षा की स्थिति पर सर्वे करने वाली संस्था ‘प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन’ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट ‘असर’ यानी एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट से कई चौंकाने वाले परिणाम देखने को मिल रहे हैं. विदित हो कि 2005 से ‘असर’ लगातार पूरे देश, राज्य व समस्तीपुर जिले की शिक्षा की स्थिति की झलक हमें दिखा रही है. असर द्वारा किए गए इस सर्वे में तीन बड़े पहलुओं को ध्यान में रखा गया है. बच्चों का स्कूल में दाखिला, किताबों को पढ़ने, गणित की क्षमता और स्कूल में उपलब्ध बुनियादी सुविधाएं. रिपोर्ट के अनुसार 2024 में स्कूल में दाखिला नहीं लेने वाले 6-14 साल की उम्र के बच्चों के प्रतिशत में बढोतरी दर्ज हुयी है. वर्ष 2022 में 3.3 प्रतिशत बच्चे विद्यालय से बाहर थे. लेकिन, वर्ष 2024 में सुधार हुआ शिक्षा से दूर बच्चों को विद्यालय से जोड़ा गया. बावजूद अभी भी 1.6 प्रतिशत बच्चे ही विद्यालय से दूर है. वर्ष 2022 में 81.3 प्रतिशत बच्चों का नामांकन सरकारी स्कूलों में हुआ. वहीं, वर्ष 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक 6 से 14 आयु वर्ग के 79.2 प्रतिशत बच्चे सरकारी विद्यालयों में नामांकित हैं. आधार कार्ड के माध्यम से फर्जी नामांकित बच्चों की पहचान हो सकी.

वर्तनी, शब्दावली को भी नहीं जानते बच्चे

जो छात्र जितना अधिक धाराप्रवाह पढ़ता है, उतना ही अधिक गहराई से और अधिक समझ के साथ पढ़ना आसान होता है. यह बढ़ी हुई समझ भविष्य में पढ़ने की सफलता की नींव रखती है. लेकिन, कक्षा 3 से 5 के केवल 40.2 प्रतिशत बच्चे ही वर्ग 2 की भाषा की पुस्तक धाराप्रवाह पढ़ सकते हैं. हालांकि, डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय का कहना है कि 100 दिवसीय गणित कौशल एवं बुनियादी भाषा अभियान के क्रियान्वयन की स्थिति संतोषजनक है. वर्ष 2022 के रिपोर्ट के अनुसार, लर्निंग लेवल (कक्षा 3-5) के 32.2 प्रतिशत बच्चे कक्षा दो स्तर का पाठ पढ़ पाए रहे थे. उत्क्रमित मध्य विद्यालय लगुनियां सूर्यकण्ठ के एचएम सौरभ कुमार ने बताया कि भाषा प्रवाह को बेहतर बनाने के लिए बच्चों को वर्तनी, शब्दावली और विराम चिह्नों का ज्ञान रोचक तरीके से दिया जा रहा है.

नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कितना है असर

2020 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद से छोटे बच्चों में पढ़ने-लिखने और गणित सीखने यानी मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (एफएलएन) पर जोर दिया जा रहा है. जिले के ग्रामीण स्कूलों से मिले नये आंकड़े दर्शाते हैं कि 2024-25 में पिछले साल (2023-24) की तुलना में सुधार हुआ है. वर्ग 3 से 5 के 52.6 प्रतिशत बच्चे घटाव की क्रिया कर सकते हैं. वर्ग 6 से 8 के 61.6 प्रतिशत बच्चे भाग की क्रिया जानते हैं. वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 39.5 प्रतिशत था. वही वर्ग 6 से 8 के 61.6 प्रतिशत बच्चे ही भाग की क्रिया जानते हैं. वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 52.9 प्रतिशत था. असर की रिपोर्ट के मुताबिक कक्षा 3 से 5 तक के छात्रों की स्थिति तो बेहतर है लेकिन कक्षा 8 तक आते-आते उनके प्रदर्शन में गिरावट आनी शुरू हो जाती है.

असर 2024 की रिपोर्ट के अनुसार समस्तीपुर में

6 से 14 आयु वर्ग के 79.2 % बच्चे सरकारी विद्यालयों में पढ़ते हैं जबकि 1.6 प्रतिशत बच्चे आज भी विद्यालय से बाहर हैं.

कक्षा 3 से 5 के केवल 40.2 प्रतिशत बच्चे ही वर्ग 2 की भाषा की पुस्तक धाराप्रवाह पढ़ सकते हैं.

वर्ग 3 से 5 के 52.6% बच्चे घटाव की क्रिया कर सकते हैं.

वर्ग 6 से 8 के 65% बच्चे वर्ग 2 की भाषा की पुस्तक धाराप्रवाह पढ़ सकते हैं.

वर्ग 6 से 8 के 61.6% बच्चे भाग की क्रिया जानते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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