बलबड्डा थाना स्थित चौरा गांव में माघी काली पूजा को लेकर काली मां के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. बताते चलें कि इस गांव में सौ वर्ष से अधिक समय से हो रहे माघी काली पूजा का एक अलग पहचान है. काली मां के प्रतिमा स्थापित होने के दो दिन पूर्व मंदिर के मुख्य भगत सुशील भगत की अगुआई में सैकड़ों की संख्यां में श्रद्धालु बिहार स्थित कहलगांव के उत्तर वाहिनी गंगा से जल भरकर आते हैं और उस जल को मंदिर परिसर में रख दिया जाता है. जो भी श्रद्धालु जल भरकर लाते हैं, उस जल को काली पूजा के दिन माता को चढ़ाया जाता है. वहीं इस काली मंदिर प्रांगण में चढ़ने वाला ध्वजा के बांस को गांव से करीब चार किमी दूर अमौर गांव में जाकर पूजा के एक दिन पूर्व भगत के साथ सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर बांस में निमंत्रण देते हैं. जिस दिन पूजा होती है, उसके अहले सुबह पहुंचकर ध्वजा को चढ़ाया जाता है. मंदिर के मुख्य भगत का मानना है कि इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु श्रद्धा से पहुंचकर मन्नत मांगते हैं, उनकी मन्नतें पूरी होती है. मन्नतें पूरी होने पर श्रद्धालु बकरे की बली चढ़ाते हैं. मेला कमेटी के अध्यक्ष जय कृष्ण सिंह ने बताया कि यहां इस दिन मेले का भी आयोजन होता है और रात्रि में भक्ति जागरण का कार्यक्रम होता है. मंदिर प्रांगण में अन्य भगत कामदेव भगत, प्रमोद भगत, कृष्णा भगत के अलावे फुलदरिया सुबोध सिंह, बीरबल सिंह, तिवारी सिंह, सरगुन सिंह, बुलबुल सिंह, हरिहर सिंह, कटकी, मूलो सिंह, उमेश सिंह, महेश सिंह, दिवाकर सिंह, बद्री सिंह भगत के सहयोग में लगे रहते हैं. वहीं मेला में भीड़ को देखते हुए मेला कमेटी के सदस्य निर्भय सिंह, पवन सिंह, शत्रुघन सिंह, उदय सिंह, राजेश सिंह, कैलाश सिंह, बिपीन सिंह मेला के संचालन में लगे हैं.
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