Om Mantra Jaap: सनातन धर्म शास्त्र में हर मंत्र जाप से पहले ॐ का उच्चारण हम करते है. वहीं हर मंत्र का प्रारंभ ॐ के उच्चारण से ही किया जाता है,ॐ शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बनाता है जो कि इस प्रकार है: अ, उ और म,पुराण और धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ॐ को सृष्टि के उधर का प्रतीक माना जाता है. ॐ से ही सूर्य का जन्म हुआ है.साथ ही ॐ का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.ॐ के जाप हर मंत्र से पहले उसका उच्चारण करने की मान्यता है.
आईए जानते हैं ,क्यों करते हैं ॐ का उच्चारण किसी भी मंत्रों के जप से पहले ?
ॐ का उच्चारण तीन वाक्य से मिलकर बना है,इन वाक्य का अर्थ वेदों में व्यक्त किया गया है जिसके अनुसार इसका उच्चारण किया जाता है. ध्यान साधना करने के लिए इस शब्द को उपयोग में लाया जाता है.क्योंकि यह एक बल बुद्धि प्रदान करने वाला शक्तिशाली वाक्य है.
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परमात्मा की स्तुति सृष्टि, स्थिति और प्रलय का संपादन इसी ॐ में निहीत होती है. सत् चित् आनंद,शांति, एकाग्रता की अनुभूति भी इसी के द्वारा पूर्ण होती है.साथ ही समस्त वैदिक मंत्रों का उच्चारण ॐ द्वारा ही संपन्न होता है. वेदों की ऋचाएं, श्रुतियां ॐ के उच्चारण के बिना अधूरी हैं. भौतिक, दैविक और आध्यात्मिक शांति का सूचक मंत्र है यह ॐ को माना जाता है.
ॐ’का महत्व सिर्फ सनातन धर्म में ही नहीं जबकि दुनिया के अन्य धर्मों में भी इसका उल्लेख किया गया है. इसका उल्लेख बौद्ध-दर्शन में जप एवं उपासना के लिए ‘मणिपद्मेहुम’ का उपयोग किया जाता है.और साथ ही ओम को ‘मणिपुर’ चक्र में अवस्थित माना जाता है. कबीर ने भी साखियां लिखीं हैं, जिसमें ओम के महत्व और धैर्य को स्वीकारा गया है. वहीं गुरु नानकजी ने भी इसका वर्णन अपने धर्म मे किया है.ॐ का अपना विशेष महत्व अपने-अपने धर्म मे शास्त्रों, पुराणों मे किया गया है.