Famous Sweets: अगर आप असली बिहारी मिठास का स्वाद लेना चाहते हैं, तो छपरा के एकमा में स्थित आमढारी ढाला के पेड़े का स्वाद जरूर चखिए. यह सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि एक परंपरा है. जो दशकों से लोगों की जुबान पर राज कर रही है. इस पेड़े की दीवानगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि न केवल बिहार और देश के अन्य राज्यों में, बल्कि दुबई और थाईलैंड तक इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.
लकड़ी की आंच पर पकता है स्वाद का जादू
इस पेड़े की खासियत इसका पारंपरिक तरीका है. लकड़ी की धीमी आंच पर ताजा गाय के दूध को घंटों पकाकर जब खोया तैयार किया जाता है, तब उसमें इलायची और हल्की चीनी मिलाकर इसका अद्भुत स्वाद उभरता है. यही वजह है कि आमढारी ढाला के पेड़े का हर कौर बेहद खास होता है.
हर महीने लाखों का कारोबार
आज एकमा के इस छोटे से कस्बे में करीब एक दर्जन से ज्यादा दुकानों पर यह पेड़ा बन रहा है, और रोजाना 100 किलो से ज्यादा पेड़े की बिक्री हो रही है. इस पेड़े की कीमत भी बेहद किफायती है. महज 10 रुपये प्रति पीस और 360 रुपये प्रति किलो की दर से बेचा जाता है. शादी-ब्याह से लेकर हर खास मौके पर लोग इसे बड़े पैमाने पर ऑर्डर कराते हैं.
विदेशों तक पहुंची मिठास
इसके जबरदस्त स्वाद और शुद्धता के कारण यह पेड़ा छपरा, सीवान, गोपालगंज से निकलकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक प्रसिद्ध हो चुका है. खास बात यह है कि अब लोग इसे विदेशों तक भी पार्सल करवाने लगे हैं. जिससे इसका कारोबार हर महीने 10 लाख रुपये तक पहुंच चुका है.
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एक मिठाई से हजारों परिवारों की आजीविका
यह केवल एक स्वादिष्ट मिठाई नहीं, बल्कि हजारों लोगों की रोजी-रोटी का जरिया भी है. स्थानीय किसान हर दिन तीन क्विंटल से ज्यादा दूध सप्लाई करते हैं. जिससे यह स्वादिष्ट पेड़ा तैयार होता है. इस कारोबार से कई लोग जुड़े हैं, जो दूध सप्लाई करने से लेकर पेड़ा बनाने और बेचने तक का काम कर रहे हैं. अगर आप बिहार के पारंपरिक स्वाद से रूबरू होना चाहते हैं, तो अगली बार छपरा जाएं और आमढारी ढाला के पेड़े का स्वाद लेना न भूलें. यकीन मानिए, एक बार चखने के बाद आप इसे भूल नहीं पाएंगे.
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