औरंगाबाद कार्यालय.
सदर अस्पताल में एक मरीज के परिजनों द्वारा महिला कर्मचारी (नर्स) के साथ की गयी मारपीट और अस्पताल के वार्ड में हुई तोड़फोड़ के मामले में डीएम श्रीकांत शास्त्री ने संज्ञान लिया है. अस्पताल की घटना की सूचना पर बुधवार को डीएम सदर अस्पताल पहुंचे और एक-एक पहलुओं पर सिविल सर्जन एवं उपाधीक्षक से पूछताछ की. डीएम ने स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों को फटकार भी लगायी. उन्होंने स्पष्ट कहा कि इतनी बड़ी घटना हो कैसे गयी. नर्स के साथ मारपीट कैसे हुई और सुरक्षा कर्मी क्या कर रहे थे. डीएम के निरीक्षण के दौरान एक तरह से स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों में सन्नाटे का माहौल नजर आया. डीएम ने नर्स के साथ मारपीट और तोड़फोड़ मामले की जांच करने का आदेश दिया है. डीएम के आदेश पर दो सदस्यीय जांच टीम भी बनायी गयी है. तीन दिन के भीतर डीएम ने रिपोर्ट समर्पित करने का आदेश दिया है. अस्पताल में मौजूद एसडीओ संतन कुमार सिंह व एसडीपीओ संजय कुमार पांडेय को भी निर्देशित किया. नगर थानाध्यक्ष उपेंद्र कुमार भी उस वक्त मौजूद थे. ज्ञात हो कि मंगलवार को सदर अस्पताल में एक मरीज के परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया था. तोड़फोड़ भी की थी. यही नहीं मीरा कुमारी नामक एक नर्स के साथ उक्त लोगों ने मारपीट भी की थी.आखिर सदर अस्पताल में 35 गार्ड की भूमिका क्या है, क्यों लाखों रुपये हो रहे बर्बाद
सदर अस्पताल में हंगामा, मारपीट और तोड़फोड़ कोई नई बात नहीं है. अक्सर मरीज के परिजन छोटे-छोटे बात को लेकर हंगामा करते रहे है. किसी को एंबुलेंस नहीं मिला तो हंगामा, किसी को दवा नहीं मिली तो हंगामा, किसी व्यक्ति का तुरंत इलाज नहीं हुआ तो हंगामा. ये रोजमर्रे की तरह बात बन गयी है. सरकारी सामानों को नुकसान पहुंचाने की एक आदत सी बन गयी है. आश्चर्य की बात तो यह है कि सदर अस्पताल की सुरक्षा के लिए 35 गार्ड की व्यवस्था की गयी है. इसमें 33 गार्ड सिक्युरिटी एजेंसी की है, जबकि दो होमगार्ड से संबंधित है. इन 35 गार्डों पर छह लाख रुपये से अधिक सरकारी राशि खर्च किये जाते है. जब भी हंगामा की स्थिति बनती है तो गार्ड फरार हो जाते है या सबकुछ अपनी आंखों से देखते रहे है.तीन गार्ड सिविल सर्जन आवास को
सदर अस्पताल की सुरक्षा में सिक्युरिटी एजेंसी के 33 गार्ड लगाये गये है. इसमें एक सुपरवाइजर भी लगाये गये है. बड़ी बात यह है कि तीन गार्ड को सिविल सर्जन आवास पर लगाया गया है.ये आवास की सुरक्षा करते है. जबकि सिविल सर्जन का आवास उस जगह पर है जहां डीएम ,एसपी का भी आवास है.महिला डॉक्टरों पर भी रहेगी नजर
सदर अस्पताल में कई महिला डॉक्टर पदस्थापित है, लेकिन हर दिन दोपहर दो बजे के बाद उनकी डयूटी नहीं होती है. या तो वे डयूटी से गायब हो जाते है या उनकी डयूटी नहीं लगायी जाती है. रात में महिला डॉक्टर ऑन कॉल पर रहती है. ऐसे में महिला मरीजों को परेशानी होती है. डीएम ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है. उन्होंने कहा कि महिला डॉक्टरों पर उनकी नजर है. इसकी भी जांच करायी जायेगी.क्या कहते हैं डीएम
डीएम श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि सदर अस्पताल में महिला कर्मचारी के साथ मारपीट और अस्पताल में तोड़फोड़ की सूचना मिलते ही वे सदर अस्पताल पहुंचे और एक-एक मामले की जांच की. उन्होंने घटना की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी बनाने का निर्देश दिया है. घटना में जो भी शामिल है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. कमेटी को निर्देश दिया गया है कि तीन दिन के भीतर जांच रिपोर्ट समर्पित करें. डीएम ने कहा कि सिक्युरिटी कंपनी के गार्ड की भूमिका सही नहीं है. पता चला है कि जितने गार्ड है उसमें भी अधिकांश गायब रहते है. इसकी जांच करने का उन्होंने निर्देश दिया है. सभी गार्डों की फिटनेस जांच करायी जायेगी. सरकारी राशि का दुरुपयोग करने वाले बख्शे नहीं जायेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है