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नारी जागी तो समाज जागा और नारी सोई तो समाज सोया : भगवान भाई

पाश्चात्य संस्कृति एवं पैसों की दौड़ आदि के प्रभाव में नारी आधुनिकता की लहर में अपने नैसर्गिक नैतिक मूल्यों की अवहेलना कर रही हैं. इसका प्रभाव समाज पर दिखायी दे रहा है.

दुमका. वर्तमान की छात्राएं भविष्य की नारी है और इन छात्राओं में नैतिक और आध्यात्मिक द्वारा सशक्त बनाकर भविष्य की नारी को सशक्त बनाया जा सकता है. जहां सशक्त नारी वहीं समाज, परिवार, देश राष्ट्र भी सशक्त बनेगा. उक्त बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से आए राजयोगी ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कही. वे एकलव्य मॉडल आवासीय बालिका विद्यालय काठीजोरिया में नैतिक शिक्षा से सशक्त नारी विषय पर संबोधित करते हुए बोल रहे थे. उन्होंने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति एवं पैसों की दौड़ आदि के प्रभाव में नारी आधुनिकता की लहर में अपने नैसर्गिक नैतिक मूल्यों की अवहेलना कर रही हैं. इसका प्रभाव समाज पर दिखायी दे रहा है. उन्होंने बताया कि परोपकार, सेवाभाव, त्याग, उदारता, पवित्रता, सहनशीलता, नम्रता, धैर्यता, सत्यता, ईमानदारी, आदि सद्गुण नहीं आते तब तक छात्राओं की शिक्षा अधूरी हैं. नैतिकता के अंग हैं- सच बोलना, चोरी न करना, अहिंसा, दूसरों के प्रति उदारता, शिष्टता, विनम्रता, सुशीलता आदि. नैतिक शिक्षा के अभाव के कारण ही आज जगत में अनुशासनहीनता, अपराध, नशा-व्यसन, क्रोध,झगड़े आपसी मन मुटाव बढ़ता जा रहा है. वर्तमान समय नारी अपना कर्तव्य प्रति जागृत और अडिग रहने कि आवश्यकता है. भगवान भाई ने कहा कि आज के समाज में रूढ़ियां, कुरीतियां, रीति-रिवाज, साम्प्रदायिकता बढ़ने लगी है. नारी के अधोपतन से समाज का भी पतन होने लगा है. नारी परिवार की धुरी और समाज की इकाई है. उन्होंने कहा कि माता संतान की प्रथम गुरू है. वह स्वयं यदि शिक्षित है, गुणवान है, समर्थ है, सशक्त है. आत्मबल आत्म सम्मान महसूस करती है तो वही संस्कार वो संतान को देती है. उन्होंने आगे बताया कि कि राजयोग के अभ्यास द्वारा स्वयं को तनावमुक्त बनाकर सशक्त बनाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि नारी जागी तो समाज जागा और नारी सोई तो समाज सोया. प्रिंसिपल डॉ नेहा व सुमिता सिंह ने सभी छात्राओं को कहा कि जो बाते ब्रह्माकुमारी द्वारा सुनी उसे अपने आचरण में जरुर लाकर भविष्य में सशक्त नारी बनकर समाज का फैला हुआ अन्धाकर जरुर मिटाना तब आपका जीवन सार्थक होगा. स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेन्द्र की प्रभारी बीके जयमाला ने कहा कि हम अपने भूतकाल में जाते है तो नारी शक्ति के रूप में पूजी जाती थी. अभी हमें अपने सोच बदलने की, विचारों में परिवर्तन लाने की और अपने शक्ति को पहचानने की आवश्यकता है. कार्यक्रम का संचालन सीनियर शिक्षिका रंजू कुमारी ने किया. पुष्पलता कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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