सरकार की ओर से जिलेभर के छात्र-छात्राओं को दिये जाने वाली साइकिल की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं. सवाल उठना भी लाजमी है, क्योंकि एक-दो दिनों में प्रखंड में साइकिल वितरण किया जाना है. इसके बाद प्रखंड के सामाजिक लोगों की नजर साइकिल कसने वाले संबंधित एजेंसी पर पड़ी. डाक बंगला परिसर में लगभग 300 साइकिल को बनाकर तैयार किया गया. साइकिलों में अधिकतर के पार्ट्स गायब पाये जाते हैं. इससे विद्यार्थियों को साइकिल ले जाने में काफी परेशानी होती है. छात्र साइकिल को ठेलकर अपने घर ले गये. इसकी पड़ताल की गयी. तो पता चला कि अधिकतर साइकिलों में टाल नहीं लगाये गये हैं. कई साइकिलों में चेन कवर क्लैंप, वीवी गुटका आदि गायब है. कुछ साइकिलों में ब्रेक भी खुला पाया गया. एक भी साइकिल के पहिये में हवा नहीं था. पूर्व में साइकिल लेने के बाद छात्रों को दुकान में जाकर कल पुर्जों को दुरुस्त कराया गया था. इसके लिए छात्रों को अपनी जेब भी ढीली करनी पड़ी थी,
एक साइकिल कसने में एजेंसी को मिलता है 63 रुपये
साइकिल कसने वाली एजेंसी ने बताया कि हमलोग को मात्र एक साइकिल कसने में 63 रुपये मिलता है. इसमें जितना संभव हो पाता है, उसी के अनुसार कार्य होता है. सामाजिक कार्यकर्ता संतोष भगत ने कहा कि साइकिल वितरण योजना बहुत अच्छा है. मगर घर ले जाने से पूर्व ही बच्चों को निजी खर्च करना पड़ता है, जिसमें 300 से अधिक राशि खर्च करनी पड़ेगी. ऐसे में सरकार की योजना की जांच होनी चाहिए. जेएमएम नेता अवध किशोर हांसदा ने जांच की मांग की है.
क्या कहते हैं बीडीओ
ऐसी जानकारी नहीं हैं. सरकारी योजना का लाभ दिलाने के लिए हम हमेशा तत्पर हैं. अब जानकारी के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.– फुलेश्वर मुर्मू, प्रखंड विकास पदाधिकारी, पोड़ैयाहाटB
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है